Edited By Jyoti,Updated: 22 Jun, 2019 01:18 PM
जैसे कि हम आपको अपने अन्य आर्टिकल्स के द्वारा बता चुके हैं कि 4 जुलाई से इस सासल की जगन्नाथ यत्रा शुरू हो रही है।
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जैसे कि हम आपको अपने अन्य आर्टिकल्स के द्वारा बता चुके हैं कि 4 जुलाई से इस साल की जगन्नाथ यात्रा शुरू हो रही है। हर साल ओडिशा की पुरी नगरी में आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है। ये जगन्नाथ यात्रा न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में प्रसिद्ध है। लेकिन क्या आप में से कोई ये जानता है कि भगवान जगन्नथ की यात्रा पुरी में ही नहीं बल्कि और भी शहरों में निकाली जाती है। जिनमें से छत्तीसगढ़ं की राजधानी रायपुर की पुरानी बस्ती टुरी हटरी में पिछले 500 सालों से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है। यहां इनका (जगन्नाथ भगवान का) स्थापित मंदिर लगभग 500 वर्ष पुराना बताया जाता है।
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यहां की लोक मान्यता के अनुसार यहां निकाले जाने वाली यात्रा के दौरान हर साल कोई न कोई चमत्कार देखने को ज़रूर मिलता है। इसके अलावा यहां भगवान को यात्रा के दौरान विशेष प्रकार के प्रसाद का भोग लगाया जाता है जिसे बाद में महाप्रसाद के रूप में सभी भक्तों में वितरित किया जाता है। मान्यता के अनुसार इस प्रसाद का सेवन करने से व्यक्ति को किसी भी प्रकार के रोग नहीं होते।
कहा जाता है यहां भी पिछले 500 सालों से भगवान जगन्नाथ की प्रसिद्ध रथयात्रा निकाली जाती है। यहां निकलने वाली रथयात्रा को खींचने का मौका श्रद्धालु कभी नहीं छोड़ते। इस रथयात्रा में हर साल छोटे बड़े रूप में चमत्कार होते रहते हैं, इसी कारण अगर श्रद्धालुओं को रथ को हाथ लगाने का मौका नहीं भी मिलता तो भी वे रथ की रस्सी को मात्र छूने का अवसर ढूंढ ही लेते हैं।
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ओडिशा से आते हैं कारीगर
श्रद्धालुओं का मानना है कि यात्रा के दौरान रथ खींचने से सभी तरह के पाप व कष्ट दूर होते हैं और पुण्य फल की प्राप्ति होती है। बताया जाता है कि रथयात्रा के लिए यहां पूरे मंदिर परिसर के रंगरोगन काम जोर-शोर से किया जाता है और भगवान के नगर भ्रमण के लिए भरपूर तैयारी की जाती है। भगवान के तीनों रथ को बनाने के लिए यहां कारीगर ओडिशा से ही आते हैं।