Kundli Tv- एक अनोखे अंदाज़ में बारिश का संदेश देती है इस मंदिर की छत

Edited By Jyoti,Updated: 05 Aug, 2018 09:37 AM

jagannath temple behta kanpur

अक्सर सुना होगा कि बारिश की वजह से कुछ लोगों के घरों की छतों से पानी टपकने लगता है, जिसका कारण होता है उनके घरों की खराब छतें। लेकिन क्या कभी एेसा सुना है कि जिसकी छत चिलचिलाती धूप में टपकने लगे और बारिश की शुरुआत होते ही छत से पानी टपकना बंद हो जाए।

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अक्सर सुना होगा कि बारिश की वजह से कुछ लोगों के घरों की छतों से पानी टपकने लगता है, जिसका कारण होता है उनके घरों की खराब छतें। लेकिन क्या कभी एेसा सुना है कि जिसकी छत चिलचिलाती धूप में टपकने लगे और बारिश की शुरुआत होते ही छत से पानी टपकना बंद हो जाए। आपको यह जानकर हैरानी होगी लेकिन यह सच है। उत्तर प्रदेश की औद्योगिक नगरी कहे जाने वाले कानपुरा जनपद के भीतर गांव विकासखंड से तीन किलोमीटर की दूरी पर बेहटा गांव है। यही वह गांव है जहां धूप में छत से पानी टपकने लगता है और बारिश में बंद हो जाता है। यह घटना किसी आम ईमारत में नहीं बल्कि भगवान जगन्नाथ के अति प्राचीन मंदिर में होती है।

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बारिश की आहट देती हैं छत की बूंदें 
यहां के लोगों के अनुसार बारिश होने के 6-7 दिन पहले ही मंदिर की छत से पानी की बूंदे टपकने लगती हैं। इतना ही नहीं जिस आकार की बूंदे टपकती हैं, उसी आधार पर बारिश होती है। इन सबको देखते हुए गांव के लोग मंदिर की छत टपकने के संदेश को समझकर अपनी जमीनों को जोतने के लिए निकल पड़ते हैं। यहां की सबसे हैरान करन देने वाली बात तो यह है कि जैसे ही बारिश शुरु होती है, छत अंदर से पूरी तरह सूख जाती है।


वैज्ञानिक भी नहीं जान पाए रहस्य
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि पुरातत्व विशेषज्ञ और वैज्ञानिक भी इस मंदिर के अनोखे रहस्य को नहीं जान पाए हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का जीर्णोद्धार का कार्य 11वीं सदी में किया गया।

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अनुमान
मंदिर की बनावट बौद्ध मठ की तरह है। इसकी दिवारें 14 फीट मोटी हैं जिससे इसके सम्राट अशोक के शासन काल में बनाए जाने का अनुमान लगाया जाता है। वहीं मंदिर के बाहर मोर का निशान व चक्र बने होने से चक्रवर्ती सम्राट हर्षवर्धन के कार्यकाल में बने होने का अनुमान लगाया जात हैं लेकिन इसके निर्माण का ठीक-ठीक अनुमान अभी नहीं लग पाया है।

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किसकी होती है पूजा
भगवान जगन्नाथ का यह मंदिर बहुत प्राचीन है। मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलदाऊ व सुभद्रा की काले चिकने पत्थरों की प्रतिमाएं विराजमान हैं। प्रांगण में सूर्यदेव और पद्मनाभम की प्रतिमाएं भी हैं। जगन्नाथ पुरी की तरह यहां भी स्थानीय लोगों द्वारा भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकाली जाती है। लोगों की आस्था मंदिर के साथ गहरे से जुड़ी है। लोग दर्शन करने के लिए आते रहते हैं।

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