Edited By Niyati Bhandari,Updated: 14 Apr, 2024 09:02 AM
अमृतसर (कमल): शहीद कौम का अनमोल सरमाया होते हैं और वहीं कौमें जीवित रहती हैं, जो अपने शहीदों का सम्मान करती है। ये शब्द आज जलियांवाला
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अमृतसर (कमल): शहीद कौम का अनमोल सरमाया होते हैं और वहीं कौमें जीवित रहती हैं, जो अपने शहीदों का सम्मान करती है। ये शब्द आज जलियांवाला बाग में शहीदों को श्रद्धांजलि भेंट करते समय जलियांवाला बाग के चेयरमैन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से बनाए गए राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट के सदस्य पूर्व राज्यसभा सदस्य श्वेत मलिक ने कहे।
इस दौरान भाजपा नेता तरुणजीत सिंह संधू, विधायक कुंवर विजय प्रताप सिंह, पूर्व मंत्री डॉ. राज कुमार वेरका, प्रो. लक्षमी कांता चावला, डॉ. हरविंदर सिंह संधू, पूर्व विधायक अमरपाल सिंह बौनी अजनाला, डा. राम चावला, सांसद गुरजीत सिंह औजला की माता जागीर कौर, विकास सोनी, राजबीर शर्मा, राकेश गिल, पूर्व मेयर बख्शी राम अरोड़ा, जुगल किशोर शर्मा, जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट के सचिव एस.के. मुखर्जी शामिल हुए।
मलिक ने कहा कि 13 अप्रैल 1919 को जरनल डायर ने जलियांवाला बाग में निहत्थे लोगों पर गोलियां चलाकर लोगों को शहीद कर दिया। 1500 के करीब लोग घायल हुए थे। शहीद ऊधम सिंह ने 1940 में गवर्नर ओ. डायर को मार कर जलियांवाला बाग के शहीदों का बदला लिया था। उन्होंने कहा कि जलियांवाला बाग के शहीदों ने देश की आजादी की लड़ाई को और तेज किया था जिसकी बदौलत हम आज आजाद फिजा में सांस ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस धरती से ही अंग्रेजी साम्राज्य के पतन की शुरुआत हुई थी।
उन्होंने कहा कि हमें अपने शहीदों का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने शहीदों को प्रणाम करते कहा कि शहीद हुए सूरमे सिर के ताज हैं उनकी बदौलत ही हम आजादी का आनंद उठा रहे हैं। इस दिन श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने 13 अप्रैल 1699 को खालसा पंथ की स्थापना की थी। उन्होंने जलियांवाला बाग के चेयरमैन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद किया, जिन्होंने 20 करोड़ रुपए देकर जलियांवाला बाग का विकास भी करवाया था। इस मौके पर गौतम अरोड़ा, सर्बजीत लाटी, परमजीत चोपड़ा, राणा पवन कुमार, लीला वर्मा, कर्मजीत के.पी., अमरजीत भाटिया व स्वतंत्रता सेनानियों के अतिरिक्त भी उपस्थित थे।