वास्तु गुरु कुलदीप सलूजा- वास्तु से जानें, क्यों कम है गुरुद्वारा करतारपुर साहिब में जाने वाले दर्शनार्थियों की संख्या

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 30 Apr, 2024 01:41 PM

gurdwara darbar sahib kartarpur

सिखों के पवित्र स्थल गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर, जिसे करतारपुर साहिब भी कहा जाता है, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के नारोवाल

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Gurdwara Darbar Sahib Kartarpur: सिखों के पवित्र स्थल गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर, जिसे करतारपुर साहिब भी कहा जाता है, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के नारोवाल जिले के करतारपुर गांव में रावी नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है। जहां श्री गुरु नानक देव जी 18 वर्ष अपनी अंतिम समय तक रहे। यह सिख धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है। गुरु नानक देव जी के अंतिम विश्राम स्थल के दर्शन के लिए तीर्थयात्री करतारपुर साहिब जाते हैं। यहां छोटी लाल ईंटों से बना 500 साल पुराना कुआं भी है। माना जाता है कि इसका उपयोग श्री गुरु नानक देव जी ने अपने खेतों की सिंचाई के लिए किया था।

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22 सितंबर 1539 को गुरु जी करतारपुर साहिब में ज्योति जोत समा गए। श्री गुरु नानक देव जी के ज्योति ज्योत समाने के बाद अंतिम रस्मों संबंधी कई साखियां प्रचलित हैं। सर्वमान्य मान्यता के अनुसार, जब नानक जी ने अपनी आखिरी सांस ली तो उनका शरीर अपने आप गायब हो गया और उस जगह एक चादर और उसके नीचे कुछ फूल पाये गए। चादर को दो हिस्सों में बांटकर आधी चादर और आधे फूल सिखों ने अपने पास रखे और उन्होंने हिंदू रीति रिवाजों से गुरु नानक जी का अंतिम संस्कार किया और करतारपुर के गुरुद्वारा दरबार साहिब में नानक जी की समाधि बनाई। वहीं, आधी चादर और आधे फूलों को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मुस्लिम भक्त अपने साथ ले गए और उन्होंने समाधि के पास ही आंगन में मुस्लिम रीति रिवाज के अनुसार दरगाह बनाई।

भारत-पाकिस्तान की अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर धार्मिक ऐतिहासिक कस्बा डेरा बाबा नानक है, सदियों से जिसका गहरा नाता श्री करतारपुर साहिब से रहा है। सिख धर्म के अनुयायियों के विशेष आग्रह पर भारत और पाकिस्तान सरकार के मध्य कॉरिडोर बनाने को लेकर समझौता हुआ। करतारपुर जाने के लिए नवंबर 2019 में भारतीय सीमा में डेरा बाबा नानक में भारत और पाकिस्तान के बीच एक कॉरिडोर स्थापित किया गया। गुरुद्वारा करतारपुर साहिब पाकिस्तान में अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगभग 5 किमी दूर है, जो भारत की सीमा से भी दिखाई देता है। श्री करतारपुर साहिब गलियारे में भारत सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर बहुत ही भव्य अत्याधुनिक यात्री टर्मिनल बिल्डिंग (पी.टी.बी) का निर्माण किया है।  

करतारपुर कॉरिडोर बहुत ही सुंदर बना है और यहां बना टर्मिनल तो बहुत ही भव्य और विशाल है। जहां दर्शनार्थियों के इमिगेशन और कस्टम की फॉर्मेलिटी पूरी होती है। इसी के साथ श्री करतारपुर गुरुद्वारा परिसर में भी एक संग्रहालय, पुस्तकालय, शयनगृह और लॉकर रूम के निर्माण के साथ गुरुद्वारे का और विस्तार किया गया। परिसर में बहुत ही विशाल लंगर घर बनाया गया है। परिसर के बाहर पूर्व दिशा में हेलीपैड और उत्तर दिशा में करतारपुर बाजार बनाया गया है जहां पाकिस्तानी सलवार सूट, शॉल, चादर, ज्वेलरी, हैंडीक्राफ्ट इत्यादि की दुकानें और कैफे भी है।  

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करतारपुर कॉरिडोर और टर्मिनल बिल्डिंग में सुरक्षा और मेंटेनेंस के लिए सैंकड़ों सी.आर.पी.एफ. के जवान और कर्मचारी कार्यरत हैं। आखिर ऐसा क्या है इतना प्रसिद्ध तीर्थ स्थल होने के बाद भी गुरुद्वारा करतारपुर साहिब में जाने वाले दर्शनार्थियों की संख्या जैसी उम्मीद की गई थी उसकी तुलना में हमेशा ही बहुत कम रहती है।

इसका कारण है गुरुद्वारा करतारपुर साहिब का वास्तु। यह टर्मिनल गुरुद्वारा परिसर के दक्षिण में स्थित है। टर्मिनल से गुरुद्वारा परिसर तक भारतीय दर्शनार्थियों को ले जाने वाली बसों की पार्किंग परिसर के बाहर पश्चिम नैऋत्य (WSW) में बनाई गई है। पार्किंग के सामने ही गुरुद्वारा परिसर के पश्चिम नैऋत्य (WSW) में ही भारतीयों के लिए दर्शन ड्योढ़ी (प्रवेश द्वार) है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, पश्चिम नैऋत्य (WSW) का द्वार जहां एक ओर दर्शनार्थियों को अपनी ओर आकर्षित नहीं करता, वहीं दूसरी ओर समस्याएं पैदा करता है। जबकि पाकिस्तानी दर्शनार्थियों की दर्शन ड्योढ़ी (प्रवेश द्वार) पश्चिम वायव्य (WNW) में होकर वास्तु अनुकूल स्थान पर है। परिसर के अंदर पश्चिम दिशा में सरोवर भी बनाया गया है, जहां से दर्शनार्थी स्नान करके गुरुद्वारे में प्रवेश करते हैं। वास्तुशास्त्र के अनुसार पश्चिम दिशा में सरोवर होने से उस स्थल के प्रति धार्मिकता बढ़ती है।

उपरोक्त वास्तुदोष के कारण ही गुरुद्वारा करतारपुर साहिब इतना प्रसिद्ध धार्मिक स्थल होने के बाद भी ही यहां जाने वाले भारतीय दर्शनार्थियों की संख्या बहुत कम रहती है। यदि भारतीय दर्शन ड्योढ़ी को गुरुद्वारा परिसर के पश्चिम नैऋत्य (WSW) से हटाकर मध्य पश्चिम (Centre of the west) में कर दिया जाये तो निश्चित ही यहां आने वाले दर्शनार्थियों की संख्या बढ़ेगी और इसी के साथ जिस उम्मीद से प्रधानमंत्री मोदी जी ने करतारपुर साहिब कॉरिडोर को बनवाया है, उसका उद्देश्य भी पूरा हो सकेगा।

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वास्तु गुरु कुलदीप सलूजा
thenebula2001@gmail.com

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