पंचमुंडीय आसन पर विराजित हैं मां काली, दर्शन से होती है मन्नत पूरी

Edited By ,Updated: 31 Dec, 2016 12:52 PM

kali mandir

घसियारी मंडी के कालीबाड़ी में मां काली का प्राचीन मंदिर स्थित है। कहा जाता है कि यह मंदिर 147 साल प्राचीन है। यहां पर मां काली पंचमुंडीय आसन पर विराजमान

घसियारी मंडी के कालीबाड़ी में मां काली का प्राचीन मंदिर स्थित है। कहा जाता है कि यह मंदिर 147 साल प्राचीन है। यहां पर मां काली पंचमुंडीय आसन पर विराजमान हैं। कहा जाता है कि ये आसन नर, बंदर, सांप, उल्लू, चमगादड़ के सिर से बना है, जो मां काली को प्रिय है। यहां आकर जो भी भक्त मां से मन्नत मांगता है, वह अवश्य पूर्ण होती है। 

 

कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना तांत्रिक मधुसुदन मुखर्जी ने की थी। वे मां काली के भक्त थे। वे नीम के वृक्ष के नीचे बैठकर तप करते थे। मां ने मुखर्जी की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें मंदिर की स्थापना के लिए कहा। मां ने आदेश दिया कि वह मां काली की मिट्टी से प्रतिमा का निर्माण करवाए। उसके पश्चात उसे पंचकुंडीय आसन पर विराजमान करके पूजा करें। उसके बाद मंदिर में मां की पूजा-अर्चना शुरु हो गई। उसके बाद यहां पर दूर-दूर से भक्तजन मां के दर्शनों के लिए आने लगे। कहा जाता है कि नवरात्र में यहां आने से भक्तों की मुरादें पूरी होती हैं। अष्टमी अौर नवमी को मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन होता है अौर शाम की आरती होती है। 

 

माना जाता है कि नवरात्रों में मंदिर में जो भी भक्त 108 कमल के फूल अर्पित करता है उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। मंदिर की विशेष बात यह है कि यहां पशु बलि की जगह पेठा फल अौर गन्ने की बलि दी जाती है। 

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