Edited By Niyati Bhandari,Updated: 03 Nov, 2020 05:25 AM
करवा चौथ का पर्व हर वर्ष कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर किया जाता है। साल 2020 में करवा चौथ व्रत 4 नवंबर को रखा जाएगा। ये व्रत विवाहित और अविवाहित महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है।
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Karwa Chauth 2020 Chandra Darshan: करवा चौथ का पर्व हर वर्ष कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर किया जाता है। साल 2020 में करवा चौथ व्रत 4 नवंबर को रखा जाएगा। ये व्रत विवाहित और अविवाहित महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। करवाचौथ दो शब्दों से मिलकर बना है 'करवा' का अर्थ है 'मिट्टी का बरतन' और 'चौथ' अर्थात 'चतुर्थी तिथि'। इस पर्व पर मिट्टी के करवे को बहुत खास माना गया है। हर सुहागिन महिला अपने पति की लंबी उम्र और सुखी दांपत्य जीवन के लिए व्रत रखती है। कुंवारी लड़कियां मनचाहा जीवनसाथी पाने की लालसा से इस व्रत का पालन करती हैं। वैसे तो इस रोज़ भगवान शिव और मां पार्वती के साथ-साथ सारे शिव परिवार की पूजा का विधान है लेकिन खासतौर पर चांद की उपासना होती है।
चंद्रमा की पूजा का महत्व
छांदोग्य उपनिषद् के अनुसार, जो चंद्रमा में पुरुष रूपी ब्रह्मा की उपासना करता है उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। उसे जीवन में किसी प्रकार का कष्ट नहीं होता। उसे लंबी और पूर्ण आयु की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि जिन दंपत्तियों के बीच छोटी-छोटी बात को लेकर अनबन रहती है, करवाचौथ व्रत से आपसी मनमुटाव दूर होता है।
रात को जब चांद निकलता है तो भगवान शिव-पार्वती व श्री गणेश का ध्यान करते हुए चंद्रमा को छलनी की ओट से देख कर पति का चेहरा देखा जाता है। तब सुहागन महिलाएं चंद्रमा को अर्ध्य देती हैं और पति उन्हें पानी पिलाकर उनका व्रत सम्पूर्ण करते हैं।
चंद्रमा को अर्ध्य देते समय बोलें ये मंत्र
पीर धड़ी पेर कड़ी, अर्क देंदी सर्व सुहागिन चौबारे खड़ी।
तत्पश्चात सुहागिनें भोजन ग्रहण करती हैं। इस तरह करवा चौथ का व्रत पूरा होता है।