Edited By Niyati Bhandari,Updated: 07 Apr, 2022 08:18 AM
कात्यायनी को नवरात्रि के छठे दिन की देवी के रूप पूजा जाता है। नव दुर्गा का यह नाम कत्या ऋषि के नाम से पड़ा है। जिन्होंने घोर तपस्या करके देवी को अपनी पुत्री के रूप में पाने का वर पाया था। परमेश्वर के
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2022 Chaitra Navratri 6th Day: कात्यायनी को नवरात्रि के छठे दिन की देवी के रूप पूजा जाता है। नव दुर्गा का यह नाम कत्या ऋषि के नाम से पड़ा है। जिन्होंने घोर तपस्या करके देवी को अपनी पुत्री के रूप में पाने का वर पाया था। परमेश्वर के क्रोध से उत्पन्न हुई ये देवी मां पार्वती का रूप हैं। सिंह पर सवार होकर देवी ने महिषासुर का वध किया था। देवी को लाल रंग अती प्रिय है। इनकी साधना के समय साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित होता है। देवी का परम अलौकिक रूप भक्तों को अभय का वरदान देने वाला होता है। चार भुजाओं वाले इनके रूप का ध्यान करने मात्र से कल्याण हो जाता है। इनके पूजन से मंगल और राहु केतु ग्रह शांत होते हैं। विवाह योग्य कन्याओं को इनकी तपस्या और अनुसरण करने से शीघ्र अच्छे व मनवांछित वर की प्राप्ति होती है। इस मंत्र का जप करते हुए मां को 108 पुष्प अर्पित करें विवाह शीघ्र होगा।
Maa katyayani mantra मंत्र- ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि । नंदगोपसुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नम:॥
देवी का पूजन लाल रंग से करें। उन्हे सिंदूर, रौली, मौली, लाल वस्त्र, लाल श्रृंगार, पान और अनार फल के रूप में चढ़ाने से विवाह ठीक समय पर और अच्छे परिवार में होता है।
जिन लोगों के जीवन में दांपत्य सुख में कमी है, उन्हें देवी को रोज़ एक जनेऊ, गुड़हल का फूल और भोजपत्र चढ़ाना चाहिए।
इच्छित वर के लिए देवी को गुलकंद से बनी खीर का भोग लगाएं।
विवाह में अड़चन आ रही हो तो देवी को तिल के लड्डू का भोग लगाएं।
नीलम
8847472411