Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Feb, 2018 05:00 PM
एक बार की बात है कोई महात्मा अपने शिष्यों को लेकर घूम रहे थे। वे कई जगह घूमे। एक दिन भ्रमण करते हुए शाम का समय हो गया। दूर गांव नजर तो आया, लेकिन वहां तक जाने का रास्ता बीहड़ था
एक बार की बात है कोई महात्मा अपने शिष्यों को लेकर घूम रहे थे। वे कई जगह घूमे। एक दिन भ्रमण करते हुए शाम का समय हो गया। दूर गांव नजर तो आया, लेकिन वहां तक जाने का रास्ता बीहड़ था और उस वहां में जानवरों की भरमार थी। उसके बाहर गांव से दूर एक लोहार की भट्टी थी जहां वह खुद रहता था। महात्मा जी को भी उसी लोहार के घर में रहना पड़ा।
लोहार ने उनका खूब स्वागत किया। सबको भरपेट खाना खिलाया और उनके सोने का इंतजाम किया। महात्मा उसकी मेहमान नवाजी से बहुत खुश हुए। उनके शिष्यों ने भी लोहार के व्यवहार की बहुत तारीफ की। सुबह महात्मा जाने लगे तो उन्होंने लोहार से कहा भाई हम तुम्हारे सत्कार से बहुत संतुष्ट हुए। तुम कोई भी तीन वर मांग लो। प्राचीन युग में महात्मा लोग इतने तपोबल वाले होते थे कि वह जिसे जो वर देते वह बिल्कुल सच हो जाता था।
लोहार हाथ जोड़कर बोला वर दीजिए कि मुझे कभी किसी चीज की कमी न रहे। दूसरा वर दीजिए कि साै वर्ष लंबी आयु हो और तीसरा वर मांगने के बारे में सोचने लगा तो उसके मुंह से निकल गया। मेरी भट्टी में जो लोहे की कुर्सी है उस पर जो बैठे वह मेरी मर्जी के बिना उठ न पाए। महात्मा जी तथास्तु कहकर चले गए। लोहार लोहे का ही काम करता रहा। उसे लोहे में सोने सी बरकत हो गई। लोहार ने बहुत ठाठ से साै साल का जीवन पूरा किया। वह बूढ़ा नहीं हुआ। खूब हट्टा-कट्टा बना रहा। दुनिया को छोड़ने का समय आया तो उसे लेने आए यमराज से कहा महाराज आप उस लोहे की कुर्सी पर विराजिए।
मैं जीवन के अंतिम काम निपटा लूं। थोड़ा सा ही समय लगेगा। यमराज उस कुर्सी पर बैठ गए। लोहार ठहाका मारकर हंसा। अब यमराज लोहार की कुर्सी में कैद हो गए थे। बिना लोहार की इच्छा के वे उठ नहीं सकते थे। लोहार बहुत खुश हुआ। उसने खुशी में मुर्गा खाने की सोची। एक मुर्गा लेकर लोहार ने उसकी गर्दन काटी, लेकिन गर्दन तुरंत जुड़ गई और मुर्गा भाग गया। बिना यमराज किसी को मौत कैसे आती। उसने एक बकरा काटा। उसकी भी गर्दन जुड़ गई। वह लात मारकर भागा।
लाेहार ने सोचा चलो दाल रोटी अौर खिचड़ी वगैरह खाकर गुजारा कर लेंगे, लेकिन एक साल बीतते हुए अनर्थ होने लगा। कोई जानवर नहीं मरा तो जीवों की संख्या बेतहाशा बढ़ने लगेगी। हवा में कीट पतंगे मच्छर इतने हो गए कि सांस लेना भी दूभर हो गया। हवा के आर-पार देख पाना कठिन हो गया। चूहे और मेंढको ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया। पानी में जलीय जीव इतने हो गए कि पीने के लिए एक गिलास पानी न मिलता। चारों ओर जो बदबू फैलने लगी वह अलग। सांपों के मारे तो हाल ही बुरा हो गया। यह सब देखकर लोहार दहल गया। उसने जाकर यमराज को मुक्ति दे दी और अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी।