बार-बार कोशिश करने पर भी मिल रही है असफलता, तो एक बार जरूर पढ़े ये प्रसंग

Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Mar, 2018 06:07 PM

life managment tips for success

कोशिश करने वालों की कभी हार नही होती, ये बात तो हर कोई कहता है, लेकिन अगर बार-बार कोशिश करने के बाद भी सफलता न मिले तो क्या करें। इस बात को कोई नहीं बताता। यदि ट्राई अगैन का फार्मूला पूरा समझना है तो मैनेजमेंट गुरु भगवान कृष्ण से समझो।

कोशिश करने वालों की कभी हार नही होती, ये बात तो हर कोई कहता है, लेकिन अगर बार-बार कोशिश करने के बाद भी सफलता न मिले तो क्या करें। इस बात को कोई नहीं बताता। यदि ट्राई अगैन का फार्मूला पूरा समझना है तो मैनेजमेंट गुरु भगवान कृष्ण से समझो।

 

भगवान कृष्ण ने बचपन में ही अपने साथियों को ये शिक्षा दी कि अगर एक-दो बार कोशिश करने के बाद भी सफलता ना मिले तो क्या किया जाए। बालगोपाल कृष्ण ने अपने दोस्तों को समझाया कि यदि एक बार में किसी काम में निराशा हाथ लगे तो फिर कोशिश करो, लेकिन अपने टारगेट को बदल दो, तरीका बदल दो फिर कोशिश करो तो सफलता जरूर मिलेगी।

 

श्रीमद्भागवत में कहानी आती है, भगवान कृष्ण वृंदावन के जंगलों में अपने साथियों के साथ गाएं चरा रहे थे। गायों के साथ वे जंगल में बहुत दूर तक निकल गए। दोपहर होते-होते सबको जोरों से भूख लगी। भगवान कृष्ण ने अपने मित्र ग्वालों से कहा कि पास में ही एक यज्ञ का आयोजन हो रहा है। वहां जाकर ब्राह्मणों से भोजन मांग कर ले आएं।

 

ग्वाले कृष्ण का कहा मानते हुए उस यज्ञशाला में पहुंचे। वहां यज्ञ की तैयारियां चल रही थीं। भोजन भी पक रहा था। ग्वालों ने यज्ञ कर रहे ब्राह्मणों से भोजन मांगा, उन्हें बताया कि नंद के पुत्र कृष्ण ने भोजन मंगाया है। उस समय यज्ञ देवता को भोग नहीं लगा था, सो ब्राह्मणों ने ग्वालों को भोजन देने से मना कर दिया। ग्वाले कृष्ण के पास लौट आए। निराश होकर बैठ गए।

 

कृष्ण ने उन्हें समझाया कि ऐसे बैठने से काम नहीं चलेगा। फिर से कोशिश करो। ग्वालों ने कहा कि यज्ञ देवता को भोग लगाए बिना ब्राह्मण भोजन नहीं देंगे। जाना बेकार है। कृष्ण ने कहा, नहीं हमें फिर कोशिश करनी चाहिए। इस बार जाओ और ब्राह्मणों की बजाय उनकी पत्नियों से भोजन मांगों।

 

ग्वाले फिर यज्ञशाला में गए। इस बार उन्होंने ब्राह्मणों की बजाय उनकी पत्नियों से भोजन मांगा। ब्राह्मण पत्नियों को जब पता चला कि खुद कृष्ण ने भोजन मंगवाया है तो वे खुद बरतनों में खाना भरकर कृष्ण तक चली आईं। भगवान कृष्ण और ग्वालों ने भरपेट भोजन किया।


कृष्ण ने ग्वालों को समझाया कि अगर एक बार की असफलता से निराश होकर हम बैठ जाते तो क्या आज इतना अच्छा भोजन मिल पाता। हमें कोशिश करते रहना चाहिए। साथ ही एक ही तरीके से हमेशा कोशिश नहीं करनी चाहिए। लक्ष्य में थोड़ा बदलाव करने से सफलता मिल सकती है।

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