शिव जी से सीख लें ये बातें, जीवन में नहीं रहेगा तनाव का नामों निशान

Edited By Jyoti,Updated: 28 Jul, 2019 12:10 PM

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आंख की ज्योति भी शिव है, हाथ की शक्ति भी शिव है। मन भी शिव है मस्तिष्क भी शिव है, श्रद्धा भी शिव है, भक्ति भी शिव है। इस पूरे ब्राह्मांड में हर तरफ़ केवल शिव ही शिव है। शास्त्रों में इन्हें जगत पिता भी कहा जाता है।

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आंख की ज्योति भी शिव हैं, हाथ की शक्ति भी शिव हैं। मन भी शिव हैं मस्तिष्क भी शिव हैं, श्रद्धा भी शिव हैं, भक्ति भी शिव हैं। इस पूरे ब्राह्मांड में हर तरफ़ केवल शिव ही शिव हैं। शास्त्रों में इन्हें जगत पिता भी कहा जाता है। इन्हें ही ज्ञान की सूरज कहा गया है व भोलेनाथ ही संपूर्ण जगत की आत्मा कहलाते हैं। श्रावण माह में जगत पिता शिव परमात्मा से हर कोई वरदान पाने की इच्छा रखता है। कहते हैं इस पावन महीने में जो सदाशिव को पा लेता है उसका जीवन से तनाव हमेशा के लिए दूर हो जाता है। 
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क्योंकि हिंदू धर्म के शास्त्रों में भोलेनाथ को तनाव प्रबंधन के सबसे बड़े गुरु कहा जाता है। कहा जाता है तनाव मानव जाति को आधुनिक जीवनशैली के परिणामस्‍वरूप मिलने वाला एक अवांछित प्राकृतिक उपहार है। जबकि तनाव से मुक्‍त रहना कठिन है। लेकिन अगर आपके सिर पर भगवान शंकर का हाथ है तो किसी भी तरह का तनाव आपको छू भी नहीं सकता।

यहां जानें भगवान शंकर के जीवन से संबंधित तनाव प्रबंधन के रामबाण सूत्र-
भगवान शंकर के जटा में गंगा और त्रिनेत्र में अग्नि है जिनकी आपस में दुश्मनी हैं, फिर भी शिव शंभू कितने और शीतल और शांत है ये सब जानते हैं।

शास्त्रों के अनुसार चन्द्रमा में अमृत है जिसे महादेव ने अपने सिर पर सजाया तो वहीं नीलकंठ कहलाए जाने वाले प्रभु ने अपने गले में ज़हर को स्थान दे रखा है। जिसका मतलब ये है कि ये जीवनदाता भी है और संहारकर्ता, फिर भी शांत और शीतल हैं।
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भगवान शंकर एक तरफ़ जहां शरीर पर भभूत लगाते हैं तो दूसरी और भूत का संग रखते हैं ( इनकी भी आपस में दुश्मनी)। ये भी इनकी शीतलता की एक परफेक्ट उदाहरण है।  

नागेश्वर के स्वयं गले में सर्प धारण करते हैं तो पुत्र गणेश का वाहन चूहा तो वहीं पुत्र कार्तिकेय का वाहन मोर (तीनों की आपस में दुश्मनी) फिर भी हर परिस्थित में प्रेम से रहे। नंदी (बैल) और मां भवानी का वाहन सिंह (दोनों में दुश्मनी) दोनों की तनाव मुक्त एक तरफ तांडव और दूसरी तरफ़ गहन समाधि (विरोधाभास) हर पल गंभीर, तनाव का प्रश्न ही नहीं।

देवाधिदेव होकर भी स्वर्ग में नहीं हिमालय में रहते तपलीन रहते। किसी मोह से बंधन नहीं। (बंधनों से ही तनाव पैदा होता है)। भगवान विष्णु इन्हें प्रणाम करते हैं और ये भगवान विष्णु को प्रणाम करते हैं।

भोलानाथ के आस-पास सारे तनाव पैदा करने वाले रहते हैं फिर वे हर तरह के तनाव से मुक्त रहते हैं। अब इससे बड़ा तनाव प्रबंधन का सूत्र और क्या होगा। इतने विरुद्ध स्वभाव के वाहन और गणों के बाद भी, सबको साथ लेकर चिंता से मुक्त रहते हैं, तनाव रहित रहते हैं।

मगर इनके विपरीत हम यनि मनुष्य लोग स्वभाव वाले सास-बहू, दामाद-ससुर, बाप-बेटे, मां-बेटी, भाई-बहन, ननद-भाभी इत्यादि की नोक-झोंक में तनावग्रस्त हो जाते हैं। इतना ही नहीं कार्यस्थल में विपरीत स्वभाव के लोगों के व्यवहार देखकर हम तनावग्रस्त हो जाते हैं। तो वहीं भगवान शंकर बड़े-बड़े राक्षसों से लड़ते हैं और फिर समाधि में ध्यानस्थ हो जाते हैं।
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हम छोटी छोटी समस्या में उलझे रहते हैं, जिस कारण नींद तक नहीं आती। इसलिए कहा जाता है श्रावण मास में भगवान शंकर की पूजा करनी चाहिए व शिव जी के गुणों को भी जीवन में धारण करने का संकल्प लेना चाहिए, जिससे जीवन में कभी भी तनाव का सामना ही न करना पड़े।

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