Edited By Niyati Bhandari,Updated: 05 Jul, 2022 08:54 AM
महार्षि भृगु जी महाराज ने अपने पवित्र एवं प्राचीन तांब्र पत्रों पर लिखित ग्रंथ श्री भृगु संहिता में एक वृतांत के द्वारा मानव जाती को नवरात्रि की महिमा के बारे में समझाते हुए बताया है कि नवरात्रि के नौ दिन इस
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Ashadha gupt Navratri 2022: महार्षि भृगु जी महाराज ने अपने पवित्र एवं प्राचीन तांब्र पत्रों पर लिखित ग्रंथ श्री भृगु संहिता में एक वृतांत के द्वारा मानव जाती को नवरात्रि की महिमा के बारे में समझाते हुए बताया है कि नवरात्रि के नौ दिन इस सम्पूर्ण सृष्टि की रचना करने वाली आदि शक्ति को ही समर्पित होते हैं। भृगु जी महाराज ने यह भी समझाया कि माता दुर्गा का यह अष्टभुजाधारी रूप कहां से प्रकट हुआ। इस पर समझाते हुए उपदेश दिया कि आदि शक्ति एक स्त्रीलिंग शब्द होने के कारण उस समय जन मानस को समझाने के लिये चित्रकार ने एक स्त्री के रूप में इस आदि शक्ति को दर्शाया गया।
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अब सवाल पैदा होता है कि मूर्ती रूप में उस आदि अनादि शक्ति को दर्शाने की क्यों आवश्यक्ता पड़ गयी। इस पर भृगु जी ने मार्गदर्शन करते हुए समझाया कि जिस प्रकार किसी बच्चे को किसी भी भाषा को सिखाने के लिये सर्वप्रथम अक्षर का चित्र दिखाया एवं समझाया जाता है और फिर अक्षर से शब्द और शब्दों से वाक्य और वाक्यों से निबंध तैयार होकर भाषा का पूर्ण ज्ञान प्राप्त होता है। ठीक उसी प्रकार चित्रकार द्वारा यह आदि शक्ति को चित्र या मूर्ती रूप में तैयार करके उस आदि शक्ति के बारे में समझाने का प्रयास था।
इस प्रकार से यह दुर्गा माता का चित्र उत्पन्न हुआ, ताकि हम उस आदि शक्ति के महत्व को समझकर उसके द्वारा दिखाये गये रास्ते पर चलकर अपने जीवन को सफल कर सकें और इसे मानव जीवन को पूर्ण विकसित करके इसके उच्च आयाम पर जीवन को जी सकें।
Sanjay Dara Singh
AstroGem Scientist
LLB., Graduate Gemologist GIA (Gemological Institute of America), Astrology, Numerology and Vastu (SSM)