Navratri 1st Day: मां शैलपुत्री से जुड़ी हर जानकारी के लिए यहां क्लिक करें

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 17 Oct, 2020 06:14 AM

maa shailputri

नवरात्र के दिनों में माता के भिन्न-भिन्न स्वरूपों की उपासना की जाती है। प्रथम दिन माता शैलपुत्री की आराधना की जाती है। माता ने पर्वत राज शैलराज के महल में जन्म लिया इसलिए इनका नाम शैलपुत्री पड़ा।

Shardiya Navratri 2020 1st Day: नवरात्र के दिनों में माता के भिन्न-भिन्न स्वरूपों की उपासना की जाती है। प्रथम दिन माता शैलपुत्री की आराधना की जाती है। माता ने पर्वत राज शैलराज के महल में जन्म लिया इसलिए इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। माता शैलपुत्री को पार्वती माता का अवतार भी माना जाता है।

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What does the name shailputri mean: माता का स्वरूप
माता शैलपुत्री के दाएं हाथ में डमरू है और बायें हाथ में त्रिशूल। माता शैलपुत्री का वाहन बैल है इसलिए यह वृषभारूढा के नाम से भी जानी जाती हैं।

माता शैलपुत्री को मूलाधार चक्र की देवी माना गया है। जातक प्रथम दिन शैलपुत्री की आराधना कर के अपने मूलाधार चक्र को जागृत कर सकता है। माता का चंद्रमा पर नियंत्रण है, चंद्रमा को मन का कारक भी माना गया है इसलिए माता की आराधना करने से जातक सांसारिक मोह-माया से परे हो जाता है और उसका अपने मन पर नियंत्रण हो जाता है।

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Mata Shailputri ki katha: मां की उत्पति की कथा
एक पौराणिक कथा अनुसार, एक बार राजा दक्ष ने अपने महल में एक बड़ा अनुष्ठान करवाया, जिसमें उसने सभी देवी-देवताओं और ऋषि-मुनियों को आमंत्रित किया परन्तु अपने जमाता भगवान शिव और पुत्री सती को आमंत्रित नहीं किया। सती माता ने भगवान शिव से अनुष्ठान में चलने की प्रार्थना की पर भगवान शिव ने उनको समझाते हुए बोला कि बिना बुलाए कहीं नहीं जाना चाहिए। माता सती नहीं मानी और चलने की हठ करने लगी। तब भगवान शिव ने उनको अपने गणों के साथ अपने पिता के घर जाने की अनुमति दे दी। वहां पहुंचते ही दक्ष ने उनके साथ-साथ भगवान शिव का अपमान करना शुरू कर दिया। माता से यह सहन नहीं हुआ, उन्होंने अपनी योगाग्नि से अपने आप को अग्नि को समर्पित कर दिया। अगले जन्म में सती माता ने ही राजा शैलराज के महल में जन्म लिया।

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Mata Shailputri Devi Ki Puja Vidhi: पूजा विधि
नवरात्रि के एक लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछायें और उस में माता की तस्वीर स्थापित करें। फिर हाथ में लाल रंग का फूल ले कर माता का ध्यान करें और ‘ ॐ शं शैलपुत्री दिव्यैः नमः’ मंत्र का जाप कर के फूल माता को अर्पित करें। माता का श्वेत रंग अति प्रिय है, इसलिए माता को खीर या सफ़ेद बर्फी का भोग लगाना चाहिए। माता की सच्चे मन से आराधना करने से जातक के जीवन में स्थिरता और दृढ़ता आती है।

आचार्य लोकेश धमीजा
वेबसाइट –www.goas.org.in

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