Edited By Niyati Bhandari,Updated: 21 Feb, 2020 10:51 AM
महाशिवरात्रि भगवान शिव तथा मां पार्वती जी के शुभ विवाह की रात्रि है। कार्तिकेय जी तथा विघ्नहर्ता श्री गणेश जी जिनके सुपुत्र हैं, नंदी जिनके वाहन हैं, जो चंद्रमौलेश्वर हैं जिनकी जटाओं में साक्षात, गंगा जी विराजित हैं, जो नीलकंठ हैं,
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
महाशिवरात्रि भगवान शिव तथा मां पार्वती जी के शुभ विवाह की रात्रि है। कार्तिकेय जी तथा विघ्नहर्ता श्री गणेश जी जिनके सुपुत्र हैं, नंदी जिनके वाहन हैं, जो चंद्रमौलेश्वर हैं जिनकी जटाओं में साक्षात, गंगा जी विराजित हैं, जो नीलकंठ हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, वेद और वेदांग जिनके स्वरूप हैं, वे भगवान शिव सर्वकाल में अपने भक्तों की रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं।
जैसे अल्प आयु के मार्कंडेय मुनि भगवान शिव की कृपा से काल के ग्रास से बच कर अमरत्व को प्राप्त हो गए, दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ में, जब उसने भगवान शिव का अपमान किया तथा मां सती योगाग्नि में भस्म हो गईं तब शिवदूत वीरभद्र द्वारा दक्ष का वध कर दिया गया। तब देवताओं द्वारा भगवान की स्तुति करने पर भगवान शिव ने दक्ष को न केवल पुन: जीवन दिया अपितु उसे अपने दिव्य स्वरूप का बोध कराया।
महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर भगवान शिव को प्रसन्न एवं संतुष्ट करना सब पापों को नाश करने वाला तथा परम गुणकारी है, जो भी जीव उनके चरणों में प्रणाम करता है, भगवान शिव अपने भक्तजनों को मृत्यु आदि विकारों से रहित कर देते हैं। बिल्व पत्र भगवान शंकर को अत्यंत प्रिय है, शिव पुराण के अनुसार एक भील द्वारा अनभिज्ञ रहते हुए महाशिवरात्रि की रात्रि में जिस प्रकार शिवलिंग पर बिल्व पत्र गिरा कर पूजा की गई, जिससे प्रसन्न होकर देवाधिदेव भगवान शंकर प्रसन्न हुए और उसका कल्याण मार्ग प्रशस्त किया। यह स्पष्ट करता है कि बिल्व पत्र समस्त पापों को नष्ट करने वाला तथा भगवान शंकर की अनन्य कृपा प्राप्त कराने वाला है।
इस मनुष्य जीवन का एकमात्र लक्ष्य है शिव कृपा प्राप्त करना। आदि शंकराचार्य को भगवान शिव ने दर्शन देकर उनका मार्गदर्शन किया। भगवान श्री कृष्ण के अनन्य भक्त नरसी मेहता द्वारा एकांत स्थान में शिवालय में भगवान शिव की भक्ति करने पर भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न हुए। वह नरसी भक्त को सशरीर गोलोक धाम ले गए और उन्हें श्री राधा कृष्ण जी के दिव्य दर्शन कराने की कृपा प्रदान की।
शिव आराधना के लाभ
भगवान शिव चूंकि वैद्यनाथ हैं, अत: उनका ध्यान करने से साधक रोगमुक्त होता है।
शिव साधना से मनुष्य को जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता मिलती है।
भोले भंडारी शिव शक्ति के पुंज हैं। अत: उनकी पूजा करने से मनुष्य को अद्भुत ऊर्जा, बल व साहस की अनुभूति होती है।
भगवान शिव मृत्युंजय हैं। उनकी आराधना हमें अकाल मृत्यु से बचाती है।
शिव गृहस्थ जीवन के आदर्श हैं, जो अनासक्त रहते हुए भी पूर्ण गृहस्थ स्वरूप हैं। उनकी आराधना से गृहस्थ जीवन सुखमय बनता है।
देवाधिदेव महादेव कुबेर के अधिपति हैं। अत: लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इनकी आराधना का विशेष महत्व है।
शिव सौभाग्यदायक हैं। अत: इनकी आराधना करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।