Edited By Niyati Bhandari,Updated: 20 Feb, 2020 06:51 AM
भगवान शिव परमात्मा हैं तथा मां पार्वती आदि शक्ति स्वरूपा प्रकृति हैं, जिनकी कृपा केवल शुद्ध हृदय से की गई भक्ति से ही प्राप्त हो सकती है। महाशिवरात्रि भोले बाबा को प्रसन्न करने का प्रमुख त्योहार है। वैसे
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भगवान शिव परमात्मा हैं तथा मां पार्वती आदि शक्ति स्वरूपा प्रकृति हैं, जिनकी कृपा केवल शुद्ध हृदय से की गई भक्ति से ही प्राप्त हो सकती है। महाशिवरात्रि भोले बाबा को प्रसन्न करने का प्रमुख त्योहार है। वैसे तो हर सप्ताह आने वाला सोमवार, प्रदोष, सावन सोमवार और मासिक शिवरात्रि को भी शुभ माना जाता है, लेकिन फाल्गुन के महीने की शिवरात्रि महाशिवरात्रि कहलाती है। इस दिन विधि-विधान से व्रत, शिव पूजा और मनचाही इच्छाओं को पूरा करने के लिए उपाय भी किए जाते हैं। इस साल 2020 में महाशिवरात्रि को लेकर जनमानस में संदेह बना हुआ है की 21 या 22 फरवरी में से किस दिन मनाएं ये पर्व।
कब मनाएं महाशिवरात्रि ?
हिंदू पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि 21 फरवरी को आ रही है। सुबह त्रयोदशी तिथि रहेगी, शाम 5:20 के बाद चतुर्दशी तिथि का आरंभ होगा। जो शनिवार 22 फरवरी की शाम 7: 2 तक रहने वाली है। अत: शास्त्रों के अनुसार जब चतुर्दशी तिथि लगती है, तभी महाशिवरात्रि मनाई जाती है। इस पर्व में शिव पूजा रात के चार पहरों में की जाती है। अत: महाशिवरात्रि की पूजा 21 फरवरी की रात को करना ही उत्तम रहेगा।
भगवान शिव के इन मंत्रों का करें जाप
ॐ नमो भगवते रूद्राय अथवा ॐ नमः शिवाय रूद्राय् शम्भवाय् भवानीपतये नमो नमः और ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र से भगवान शिव की पूजा सब प्रकार के विघ्नों को हरने वाली तथा परम कल्याणप्रद है।
महाशिवरात्रि पर जो भक्त व्रत में स्थित होकर भगवान शिव की आराधना करता है, वह न केवल अपने जीवन को सार्थक करता है अपने कुल का भी उद्धार कर देता है।
‘‘प्रभो शूल पाणे विभो विश्वनाथ, महादेव शम्भो महेश त्रिनेत्र। शिवाकांत शांत स्मरारे पुरारे, त्वदन्यो वरेण्यो न मान्य न गण्य:।’’
हे प्रभो! हे त्रिशूलपाणे! हे विभो! हे विश्वनाथ! हे महादेव! हे शम्भो! हे महेश्वर! हे त्रिनेत्र! हे पार्वती वल्लभ! हे शांत! हे त्रिपुरारे! अनादि और अनंत परमपावन अद्वैत स्वरूप भगवान शिव को मैं प्रणाम करता हूं।