साल में केवल एक बार ही दोपहर के समय होती है बाबा महाकाल की भस्म आरती

Edited By Lata,Updated: 23 Feb, 2020 04:50 PM

mahakaleshwar temple

कहते हैं कि 12 ज्योतिर्लिंगों में से अगर कोई इंसान अपने जीवन काल में किसी एक के भी दर्शन कर लेता है

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कहते हैं कि 12 ज्योतिर्लिंगों में से अगर कोई इंसान अपने जीवन काल में किसी एक के भी दर्शन कर लेता है तो उसका जीवन धन्य हो जाता है। उसके सारे पापों का अंत हो जाता है। वहीं सावन व शिवरात्रि के मौकों पर इन 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करना तो बहुत ही खास होता है। बता दें कि इन्हीं 12 ज्योतिर्लिंगों में से महाकाल मंदिर विश्वप्रसिद्ध है। आइए आज जानते हैं इससे जुड़ी कुछ विशेष बातें। 
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विश्वप्रसिद्ध महाकाल मंदिर में भस्म आरती बहुत ही मुख्य आरती है जिसके दर्शन के लिए भक्तगण दूर-दूर से आते हैं। भस्म आरती प्रतिदिन तड़के चार बजे की जाती है, लेकिन साल में सिर्फ एक दिन होता है जब महाकाल की भस्म आरती का समय तड़के चार बजे से बदलकर दोपहर 12 बजे की जाती है। इसके पीछे का कारण यहीं हैं कि मंदिर में लाखों की संख्या में श्रृद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। 
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दरअसल, महाशिवरत्रि के पर्व से पहले ही शिव विवाह की हर रस्मों की शुरुआत हो जाती है और नौं दिनों तक बाबा महाकाल का अलग-अलग रूपों में श्रंगार किया जाता है। इन श्रृंगारों का मुख्य उद्देश्य उन्हें दूल्हे के रूप में तैयार करना होता है। वहीं सभी रम्में महाकाल मंदिर में विधिवत निभाई जाती है। वहीं शिवरात्रि के दिन भगवान महाकाल को दूल्हे के रूप में सजाया जाता है और शिवरात्रि को रात के समय भी महाकाल की पूजा व भजन चलता है।
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श्री महाकालेश्वर मंदिर में साल में एक ही बार महाशिवरात्रि के दूसरे दिन भगवान महाकाल को महाकाल को दूल्हे के रूप में सवा क्विंटल फूलों से बने फूलों के मुकुट धारण कराया जाता है।
बाबा को सवा मन फूलों-फलों का पुष्प मुकुट बांधकर सोने के कुण्डल, छत्र व मोरपंख, सोने के त्रिपुण्ड से सजाया जाता है। इसके बाद सेहरा दर्शन, पारणा दिवस मनाया जाता है। भगवान महाकाल के आंगन में शिव विवाह की सभी रस्मों का आयोजन किया जाता है और पूर्ण होने के बाद भस्म आरती तड़के 4 बजे के बजाए दोपहर 12 बजे की जाती है।
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इस श्रंगार का मुख्य उद्देश्य बाबा को दूल्हे के रूप में तैयार करना होता है। जिस प्रकार शादी से पहले दूल्हे को तैयार किया जाता है। उसी प्रकार कि रस्में बाबा महाकाल के साथ निभाई जाती हैं। महाशिवरात्रि के दूसरे दिन बाबा महाकाल को दूध, दही, घी से पंचामृत स्नान कराया जाता है, तत्पश्चात चन्दन, इत्र व केसर सहित सुगन्धित द्रव्यों से लेपन किया जाता है।

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