Edited By Niyati Bhandari,Updated: 05 Feb, 2020 09:24 AM
हर साल फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी के दिन महाशिवरात्रि का पर्व मनाए जाने का विधान है। साल 2020 में ये त्योहार शुक्रवार, 21 फरवरी को है। ईशान संहिता में कहा गया है, फाल्गुनकृष्णचर्तुदश्याम् आदि
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हर साल फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी के दिन महाशिवरात्रि का पर्व मनाए जाने का विधान है। साल 2020 में ये त्योहार शुक्रवार, 21 फरवरी को है। ईशान संहिता में कहा गया है, फाल्गुनकृष्णचर्तुदश्याम् आदि देवो महानिशि। शिवलिंगतयोद्भुत: कोटिसूर्यसमप्रभ:। तत्कालव्यापिनी ग्राह्या शिवरात्रिव्रते तिथि:।’
भावार्थ- फाल्गुन महीने में आने वाली चतुर्दशी की मध्यरात्रि को भोले बाबा लिंग रूप में प्रगट हुए थे। इस रात्रि को कालरात्रि और सिद्धि रात्रि भी कहते हैं। शिव भक्त महाशिवरात्रि को बहुत धूम-धाम से मनाते हैं। शिव मंदिरों में विशेष पूजा और कीर्तन का आयोजन होता है।
अन्य मान्यता के अनुसार ये भी कहा जाता है की महाशिवरात्रि को भगवान शिव और देवी पार्वती का शुभ विवाह हुआ था। अत: ये मंगलमय दिन उनकी सालगिरह के रुप में मनाया जाता है।
पौराणिक मान्यता तो ये भी है की इसी पवित्र रात को भगवान शिव ने संरक्षण और विनाश का सृजन किया था।
नरेन्द्र प्रसाद पंछी संस्थापक श्री हरि नाम प्रचार मंडल मंदिर श्री जानकी दास कपूरथला ने समस्त शिव भक्तों को शिवरात्रि के शुभ अवसर पर शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वैसे तो इस अवसर पर रात्रि को 3 पूजा करने का विधान है लेकिन अपनी सुविधा अनुसार जितनी पूजा कर सको उतना ही अच्छा है लेकिन पूजा करते समय यदि विधि-विधान का ध्यान नहीं रखेंगे तो पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होगा।
पूजा करते समय मस्तक पर भस्म व गले में रुद्राक्ष की माला धारण करें। बिल्व पत्र अति आवश्यक है। शिव पूजा में लाल पुष्प, लाल रोली, लाल धागा या लाल वस्त्र चढ़ाना वर्जित है। महिला का पति की दाईं ओर बैठना शुभ होता है। बिना पुष्प के भगवान शंकर एवं विष्णु जी की पूजा क्लेशकारी होती है। पूजा में पुष्प अति आवश्यक है।
अंत में पंछी ने बताया कि कोई भी जाप अपनी माला से ही करना चाहिए तथा गले में धारण की हुई माला से जाप करना वर्जित है। कनाडा से धार्मिक नेता नरेन्द्र प्रसाद पंछी ने कहा कि शिव पूजा से मन को शांति, खुशहाली मिलती है और धन-दौलत के भंडार भरे रहते हैं।