Malmas 2020: 18 सितंबर से हो रहा है मलमास का आरंभ, ऐसे उठाएं लाभ

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 15 Sep, 2020 05:43 AM

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मलमास का आरंभ 18 सितंबर से होगा और ये 16 अक्टूबर तक रहेगा। इसका संबंध ग्रहों की चाल से है। पंचांग के अनुसार मलमास या अधिक मास का आधार सूर्य और चंद्रमा की चाल से है। सूर्य वर्ष 365

Why is Malmas important: मलमास का आरंभ 18 सितंबर से होगा और ये 16 अक्टूबर तक रहेगा। इसका संबंध ग्रहों की चाल से है। पंचांग के अनुसार मलमास या अधिक मास का आधार सूर्य और चंद्रमा की चाल से है। सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है, वहीं चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है। इन दोनों वर्षों के बीच 11 दिनों का अंतर होता है। यही अंतर तीन साल में एक महीने के बराबर हो जाता है। इसी अंतर को दूर करने के लिए हर तीन साल में एक चंद्रमास आता है। बढ़ने वाले इस महीने को ही अधिक मास या मलमास कहा जाता है।

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इसे मलिन मास भी कहा जाता है। मलमास में शुभ कार्य तो नहीं किए जा सकते, लेकिन धर्म-कर्म और दान-पुण्य के काम जरूर करने चाहिएं। मलमास में पीले फल, मिठाई, अनाज तथा वस्त्रों का दान करना शुभ माना गया है, क्योंकि भगवान विष्णु का प्रिय रंग पीला है और मलमास को भगवान पुरुषोत्तम का मास माना जाता है। प्रतिदिन श्री हरि का ध्यान करें और पीले पुष्प अर्पित करें। इससे आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी होंगी।

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What To Do Or Not To During malmas: तुलसी पूजन जरूर करें और रोज संध्या के समय तुलसी के सामने दीप दान कर ‘वासुदेवाय नम:’ मंत्र का जाप करें। इस मंत्र जाप के साथ तुलसी की 11 बार परिक्रमा करें। इससे घर में सौभाग्य का वास होगा तथा घर के सारे संकट और दुख खत्म हो जाते हैं ।

मलमास भर नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। इससे मनुष्य के विचार और कर्म शुद्ध होते हैं और घर में सुख-शांति का वास होता है।

मलमास में सूर्योदय के पहले उठकर स्नान-ध्यान, श्रीमद्भागवत का पाठ करने से अमोघ पुण्य लाभ मिलता है। मलमास में उन लोगों को जरूर दान-पुण्य करना चाहिए जिनकी कुंडली में सूर्य शुभ फल नहीं दे रहा हो। मलमास में गरीबों की मदद करें। ऐसा करने वाले को भगवान विष्णु का विशेष आशीर्वाद मिलता है।

मलमास में पूजा-पाठ, व्रत, उपासना, दान और साधना को सर्वोत्तम माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मलमास में भगवान का स्मरण करना चाहिए। इस मास को आत्मशुद्धि से भी जोड़कर देखा जाता है। अधिक मास में व्यक्ति को मन की शुद्धि के लिए भी प्रयास करने चाहिएं। सृष्टि का आभार व्यक्त करते हुए अपने पूर्वजों का भी धन्यवाद करें। इससे जीवन में सकारात्मकता को बढ़ावा मिलता है।

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ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके भगवान विष्णु को केसर युक्त दूध का अभिषेक करें।

पीपल के पेड़ में जल को अर्पण करके गाय के घी का दीपक जलाने से आपके ऊपर भगवान विष्णु का आशीर्वाद हमेशा बना रहेगा।

दक्षिणावर्ती शंख की पूजा करनी चाहिए। इस मास में कहा जाता है कि दक्षिणावर्ती शंख की पूजा करने से श्री हरि विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं।

अगर आपको अपना प्रमोशन या पदोन्नति चाहिए तो खर मास की नवमी तिथि को कन्याओं को अपने घर पर बुला कर भोजन कराएं।

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