Edited By Niyati Bhandari,Updated: 11 Jul, 2023 07:38 AM
सावन माह की शुरुआत के पहले दिन मंगला गौरी का व्रत रखा गया था और आज 11 जुलाई को दूसरा व्रत रखा जाएगा। ये व्रत माता पार्वती को समर्पित है। अपने वैवाहिक जीवन
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Mangla Gauri Vrat: सावन माह की शुरुआत के पहले दिन मंगला गौरी का व्रत रखा गया था और आज 11 जुलाई को दूसरा व्रत रखा जाएगा। ये व्रत माता पार्वती को समर्पित है। अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाने के लिए सुहागिन महिलाएं ये व्रत रखती हैं। जिन कुंवारी कन्याओं की शादी में देरी हो रही है, उन्हें भी ये व्रत रखना चाहिए। ऐसा करने से जल्द ही मनचाही शादी करने की मनोकामना पूर्ण हो जाती है। कोई भी व्रत कथा के बिना पूर्ण नहीं माना जाता। तो आइए जानते हैं, आज के दिन कौन सी कथा के साथ अपने व्रत को पूर्ण करना चाहिए।
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Mangala Gauri Vrat Story मंगला गौरी व्रत कथा: मंगला गौरी कथा के अनुसार एक नगर में धर्मपाल नाम का एक व्यापारी रहता था। वो बहुत धनी था और उसकी पत्नी भी अत्यंत सुन्दर थी। उसके पास धन की कोई कमी नहीं थी लेकिन फिर भी वो बहुत दुखी था क्योंकि उसकी कोई संतान नहीं थी। थोड़े समय बाद भगवान की कृपा से उनके घर किलकारियां गूंजी और उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई। इस बात की उन्हें खुशी भी थी और दुःख भी क्योंकि वह अल्पायु था। उनके पुत्र को श्राप मिला था कि 16 वर्ष की आयु होते ही सांप के काटने के कारण उसकी मृत्यु हो जाएगी।
उस सेठ ने 16 साल से पहले ही अपने पुत्र का विवाह कर दिया। जिस कन्या के साथ उसका विवाह हुआ था, उसकी माता मंगला गौरी का व्रत करती थी। उसकी मां के कारण ही उस कन्या को आशीर्वाद मिला था कि वो कभी विधवा नहीं हो पाएगी। इसी कारण धर्मपाल के पुत्र की आयु 16 वर्ष से 100 वर्ष हो गई। इसी वजह से ही वैवाहिक स्त्रियां मंगला गौरी व्रत करती हैं और माता पार्वती से सुहाग की लंबी आयु की कामना करती हैं।
अगर आप भी अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद पाना चाहती हैं तो इस व्रत को रखकर, ये कथा पढ़ें या सुनें।
What to do after listening to the story कथा सुनने का बाद क्या करें
मंगला गौरी कथा सुनने के बाद विवाहित महिलाओं को अपनी सास या किसी सास समान महिला को 16 लड्डू देने चाहिए।
ब्राह्मणों को प्रसाद खिलाना चाहिए।
इसके बाद मां गौरी की आरती के साथ पूजा का समापन करें।