433 साल बाद ली गई अकबर के रत्न बीरबल की सुध

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 27 May, 2019 11:14 AM

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लगभग 433 साल के बाद किसी सरकार ने मुगल शासक अकबर के नवरत्नों में से एक रत्न बीरबल की सुध लेते हुए उसके पैतृक गांव बूडिय़ा में बीरबल का स्मारक बनाने व उसकी अन्य निशानियों के संरक्षण की कवायद शुरू कर दी है।

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यमुनानगर (त्यागी) : लगभग 433 साल के बाद किसी सरकार ने मुगल शासक अकबर के नवरत्नों में से एक रत्न बीरबल की सुध लेते हुए उसके पैतृक गांव बूडिय़ा में बीरबल का स्मारक बनाने व उसकी अन्य निशानियों के संरक्षण की कवायद शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने योद्धा स्मारक समिति द्वारा आयोजित रविवार को एक कार्यक्रम दौरान घोषणा की कि सरकार बूडिय़ा में बीरबल का स्मारक बनाएगी व उनसे जुड़ी यादों को भी धरोहर के रूप में संजोकर रखेगी।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि बीरबल कोई आम आदमी नहीं थे बल्कि वह विश्व प्रसिद्ध व्यक्तित्व थे। बीरबल मुगल सम्राट अकबर के मुख्य सलाहकार भी थे। शनिवार को आर.एस.एस. की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश द्वारा बूडिय़ा व अन्य ऐतिहासिक स्थानों का दौरा किया गया था और रविवार को आयोजित सम्मान समारोह में उनके द्वारा ही यह मुद्दा उठाया गया था जिसके जवाब में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस दिशा में कार्य करने की बात कही।

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मुख्यमंत्री ने इस मौके पर सूर्य मंदिर अमादलपुर, सुग में स्थित सतियों के मंदिर, जिले के अन्य भागों में स्थित बौद्ध स्तूप व बौद्ध विहार तथा अन्य ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण की बात कही। उन्होंने कहा कि वह इस क्षेत्र के बारे में बहुत कुछ जानते हैं क्योंकि उनका प्रचारक के रूप में अधिकतर समय यहीं पर गुजरा है।  

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