Edited By Jyoti,Updated: 07 May, 2021 12:06 PM
एक व्यक्ति चाहकर भी अपने दुर्गुणों पर काबू नहीं कर पा रहा था। एक बार उसके गांव में संत फरीद आए। उसने उनसे अपनी परेशानी बताई। फरीद ने कहा, ‘‘दृढ़ संकल्प से ही दुर्गुण छूटते हैं।
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एक व्यक्ति चाहकर भी अपने दुर्गुणों पर काबू नहीं कर पा रहा था। एक बार उसके गांव में संत फरीद आए। उसने उनसे अपनी परेशानी बताई। फरीद ने कहा, ‘‘दृढ़ संकल्प से ही दुर्गुण छूटते हैं। यदि तुम इच्छा शक्ति मजबूत कर लोगे तो तुम्हें अपने दोषों से मुक्ति मिल जाएगी।’’
वह व्यक्ति प्रयास करके थक गया मगर उसे सफलता नहीं मिली। वह फिर फरीद के पास गया। फरीद ने पहले उसके माथे की रेखाएं देखने का नाटक किया, फिर बोले, ‘‘अरे तुम्हारी जिंदगी के चालीस दिन ही शेष हैं। अगर इन बचे दिनों में तुमने दुर्गुण त्याग दिए तो तुम्हें सद्गति मिल जाएगी।’’
यह सुनकर वह आदमी परेशान हो गया। वह किसी तरह घर पहुंचा और व्यसनों की बात तो दूर, खाना-पीना तक भूल गया। वह हर पल ईश्वर को याद करता रहा।
उसने एक भी गलत कार्य नहीं किया। चालीस दिन बीतने पर वह फरीद के पास पहुंचा। उन्होंने पूछा, ‘‘इतने दिनों में तुमने कितने गलत कार्य किए?’’
उस व्यक्ति ने जवाब दिया, ‘‘मैं क्या करता। मैं तो हर पल ईश्वर को याद करता रहा।’’
संत फरीद मुस्कुराते हुए बोले, ‘‘जाओ अब तुम पूरी तरह सुरक्षित हो। तुम अच्छे इंसान बन गए हो। जो व्यक्ति हर समय मृत्यु को ध्यान में रखकर जीवन यापन करता है वह भला इंसान बन जाता है।’’—रमेश जैन