Edited By Jyoti,Updated: 05 Oct, 2021 11:37 AM
विद्यार्थियों की एक टोली पढ़ने के लिए रोजाना अपने गांव से छह-सात मील दूर दूसरे गांव जाती थी। एक दिन जाते-जाते अचानक विद्यार्थियों को लगा कि उनमें एक विद्यार्थी
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विद्यार्थियों की एक टोली पढ़ने के लिए रोजाना अपने गांव से छह-सात मील दूर दूसरे गांव जाती थी। एक दिन जाते-जाते अचानक विद्यार्थियों को लगा कि उनमें एक विद्यार्थी कम है। ढूंढने पर पता चला कि वह पीछे रह गया है। उसे एक विद्यार्थी ने पुकारा, ‘‘तुम वहां क्या कर रहे हो?’’
उस विद्यार्थी ने वहीं से उत्तर दिया, ‘‘ठहरो, मैं अभी आता हूं।’’
यह कह कर उसने धरती में गड़े एक खूंटे को पकड़ा। जोर से हिलाया, उखाड़ा और एक ओर फैंक दिया। फिर टोली में आ मिला। उसके एक साथी ने पूछा, ‘‘तुमने वह खूंटा क्यों उखाड़ा?
इसे तो किसी ने खेत की हद जताने के लिए गाड़ा था।’’
इस पर विद्यार्थी बोला, ‘‘लेकिन वह बीच रास्ते में गड़ा हुआ था। चलने में रुकावट डालता था। जो खूंटा रास्ते की रुकावट बने, उस खूंटे को उखाड़ फैंकना चाहिए।’’
वह विद्यार्थी और कोई नहीं बल्कि लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल थे।