Edited By Jyoti,Updated: 22 Jul, 2022 10:39 AM
एक बार समूचे बंगाल में भयंकर सूखा पड़ा। गांव के गांव खाली हो गए। उन्हीं दिनों ईश्वर चंद्र विद्यासागर कहीं जा रहे थे। उस दौरान उनके पास एक गरीब बालक आया और एक पैसा मांगने लगा। ईश्वरचंद्र ने देखा, बच्चे का मुंह सूखा हुआ है, मानो उसने कई दिनों से खाना
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एक बार समूचे बंगाल में भयंकर सूखा पड़ा। गांव के गांव खाली हो गए। उन्हीं दिनों ईश्वर चंद्र विद्यासागर कहीं जा रहे थे। उस दौरान उनके पास एक गरीब बालक आया और एक पैसा मांगने लगा। ईश्वरचंद्र ने देखा, बच्चे का मुंह सूखा हुआ है, मानो उसने कई दिनों से खाना ही नहीं खाया। ईश्वरचंद्र को बच्चे पर दया आ गई। उन्होंने बच्चे से पूछा, ‘‘मैं तुम्हें एक पैसे के बदले दो पैसे दूं तो तुम क्या करोगे?’’
बच्चे ने समझा वह मजाक कर रहे हैं, ‘‘महाशय मैं बड़ी परेशानी में हूं, अगर आप मुझे चार पैसे दें तो उनमें से दो पैसे की चीजें लूंगा और दो पैसे मां को दूंगा।’’
ईश्वरचंद्र ने पूछा, ‘‘अगर मैं तुम्हें चार पैसों की जगह चार आने दूं तो?’’
बच्चे ने जवाब दिया, ‘‘दो आने से खाने की चीजें खरीदूंगा, जिससे मेरा और मां का दो दिन का खाना आराम से चल जाएगा। बाकी दो आने से फल खरीदकर बेचूंगा और पैसे कमाऊंगा।’’ ईश्वरचंद्र बच्चे की बातों से बहुत खुश हुए और उन्होंने उसे एक रुपया दिया।
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बच्चा रुपया लेकर चला गया। चार-पांच साल बाद ईश्वरचंद्र फिर उसी जगह आए। एक दिन जब वह घूमने जा रहे थे, एक युवक उनके पास आया और प्रणाम करके बोला, ‘‘क्या आप थोड़ी देर के लिए मेरी दुकान पर चलेंगे?’’
ईश्वरचंद्र हैरान थे। उन्होंने उस युवक से कहा, ‘‘भाई, मैं तो तुम्हें नहीं जानता, तुम कौन हो?’’
उस युवक ने याद दिलाया कि चार-पांच साल पहले उन्हीं के दिए हुए एक रुपए से उसने काम शुरू करके अब यह दुकान खोल ली है।
वह लड़का चाहता तो विद्यासागर के पैसे से कई दिन आराम से रोटी खा सकता था लेकिन उसने जीवन को आशावान बनाया और दूर का निर्णय लेकर अपना काम शुरू किया।