Edited By Prachi Sharma,Updated: 10 Mar, 2024 08:48 AM
ईश्वर ने हमें सबसे बड़ी मूल्यवान वस्तु हमारा शरीर दिया है। इस मूल्यवान वस्तु की हम कद्र न करते हुए इसके द्वारा कमाई गई सांसारिक वस्तुओं की कद्र इससे ज्यादा
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Motivational Story: ईश्वर ने हमें सबसे बड़ी मूल्यवान वस्तु हमारा शरीर दिया है। इस मूल्यवान वस्तु की हम कद्र न करते हुए इसके द्वारा कमाई गई सांसारिक वस्तुओं की कद्र इससे ज्यादा करते हैं, जो किसी भी मायने में सही नहीं है। अहमद नामक एक फकीर थे। उनका ज्यादातर वक्त इबादत या लोगों की मदद में गुजरता था। वह लोगों की समस्याओं का समाधान चुटकियों में कर देते थे। वह जो उपाय या तरीके बताते थे, लोग उन पर आंख मूंदकर अमल करते थे।
एक दिन उनके पड़ोस में रहने वाले व्यापारी बहराम के घर से रोने-धोने की आवाज सुनाई पड़ी। यह सुनते ही अहमद ने जब पूछताछ की तो उन्हें पता चला कि बहराम जब खरीदा गया माल ऊंटों पर लाद कर घर ला रहा था, तो रास्ते में डाकुओं ने उसका सारा सामान लूट लिया। उसकी सारी सम्पत्ति लुट जाने के कारण वह पागल-सा हो गया था और आत्महत्या करने जा रहा था।
ऐन मौके पर कुछ लोगों ने आकर उसे आत्महत्या जैसा गलत कार्य करने से रोक लिया। खुद कुछ न कर पाने के कारण वह आवेश में बिना सोचे-समझे रो-रो कर बोल रहा था कि अब कंगाल होकर जीने का क्या मतलब है ? मैं आखिर जिंदा क्यों रहूं ? अहमद को सामने देख कर उसे थोड़ी राहत मिली।
अहमद ने उसके पास आकर पूछा, ‘‘जब तुम पैदा हुए थे तो क्या धन तुम्हारे पास था, जो लुटेरों ने लूट लिया ?’’
बहराम ने कहा, ‘‘नहीं, मैंने बड़ी मेहनत से दौलत इकट्ठी की थी।’’
इस पर अहमद बोले, ‘‘क्या लुटेरों ने मेहनत करने वाले तुम्हारे दोनों हाथों को भी लूट लिया है ?’’
बहराम बोला, ‘‘नहीं।’’
इस पर अहमद ने कहा, ‘‘तुम को तो किसी ने नहीं लूटा है। तुम्हारी असली दौलत यानी तुम्हारे हाथ-पैर सही सलामत हैं और फिर तुम्हारे दिल में रहम है।
इससे बढ़कर कोई धन नहीं है फिर तुम अपने आपको कंगाल कैसे बता रहे हो ?’’
अहमद के शब्दों को सुन कर बहराम का सारा दुख-दर्द दूर हो गया। अगले ही दिन से वह पूरी लगन के साथ व्यापार में जुट गया।