Edited By Jyoti,Updated: 24 Sep, 2021 04:30 PM
सनातन धर्म में देवी-देवताओं के साथ-साथ इनसे जुड़ी व इनकी प्रिय कई तरह की चीज़ों का वर्णन मिलता है जो उन्हें प्रिय है। बात करें विष्णु भगवान की तो इन्हें नीलकमल अधिक प्रसन्न है
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सनातन धर्म में देवी-देवताओं के साथ-साथ इनसे जुड़ी व इनकी प्रिय कई तरह की चीज़ों का वर्णन मिलता है जो उन्हें प्रिय है। बात करें विष्णु भगवान की तो इन्हें नीलकमल अधिक प्रसन्न है। प्राप्त खबरों के अनुसार उत्तराखंड के केदारनाथ वन प्रभाग क्षेत्र में स्थित वासुकीताल कुंड से लेकर करीब 3 कि.मी. क्षेत्र में कई सालों बाद नीलकमल के फूल खिले हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस फूल का यहां खिलना एक चमत्कार है क्योंकि यह अति दुर्लभ फूल है जो कई सालों में एक बार ही खिलता है। ऐसा कहा जा रहा है कि लाकडॉउन के चलते जब हिमालय क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर कम हुआ तो वहां की प्रकृति ने भी श्वांस लेना शुरू कर दिया है।
कहा जाता है हिमालय क्षेत्र में 4 प्रकार के कमल के फूल मिलते हैं- 1.नीलकमल, 2.ब्रह्मकमल, 3.फेन कमल और 4.कस्तूरा कमल शामिल हैं। पुराणों के अनुसार कमल के फूल की उत्पत्ति भगवान विष्णुजी की नाभि से हुई है और कमल के फूल से ब्रह्माजी की उत्पत्ति। कमल के पुष्प को ब्रह्मा, लक्ष्मी तथा सरस्वती जी ने अपना आसन बनाया है। कमल का फूल नीला, गुलाबी और सफेद रंग का होता है। कुमुदनी और उत्पल (नीलकमल) यह कमल के ही प्रकार हैं। इसके पत्तों और रंगों में अंदर त रहता है।
धार्मिक मान्यता है कि नीलकमल को भगवान विष्णु का प्रिय पुष्प माना जाता है। इस फूल का वानस्पतिक नाम नेयम्फयस नॉचलि या जेनशियाना फाइटोकेलिक्स है। यह नीले रंग का होता है।यह एशिया के दक्षिणी और पूर्वी भाग का देशज पादप है तथा श्रीलंका एवं बांग्लादेश का राष्ट्रीय पुष्प है। फेन कमल, कस्तूरा कमल और ब्रह्मकमल तो आसानी से दिख जाते हैं, लेकिन नीलकमल काफी दुर्लभ है। अतः इसका खिलना एक चमत्कार ही माना जाता है।