Edited By Jyoti,Updated: 26 Nov, 2021 01:20 PM
धार्मिक शास्त्रों में कहा गया है कि व्यक्ति जैसा कर्म करता है, उसे अपने जीवन में उसके अनुरूप फल प्राप्त होता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में अपने कर्मों को शुभ रखना चाहिए। तो वहीं जो व्यक्ति दूसरों का
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
धार्मिक शास्त्रों में कहा गया है कि व्यक्ति जैसा कर्म करता है, उसे अपने जीवन में उसके अनुरूप फल प्राप्त होता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में अपने कर्मों को शुभ रखना चाहिए। तो वहीं जो व्यक्ति दूसरों का भला सोचता है करता है, उसके अपने जीवन में हमेशा इसका परिणाम भी भला ही मिलता है। तो आइए जानते हैं कि कुछ ऐसे ही अनमोल वचन जिन्हे प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में अपनाना चाहिए।
शुभ, सरल भाव रखने और धर्म-कर्म करने से ही नर का चोला मिलता है।
गुप्तदान देने वालों को अकस्मात लक्ष्मी प्राप्त होती है।
व्रती और सदाचारी व्यक्ति की वाणी इतनी मधुर होती है कि उससे शत्रु भी हमेशा प्रसन्न रहते हैं।
जो लोग तन-मन-धन से जनहित करते हैं, अगले जन्म में उनकी आज्ञा सब शिरोधार्य करते हैं।
दान करने से जो व्यक्ति जी चुराता है, चोरी करता है और धर्म की हंसी उड़ाता है वह सदा धर्महीन रह कर जीवन भर कष्ट उठाता है और मरकर दुर्गति पाता है।
शील, धर्म और आचार का कठोरता से पालन करने वालों के समक्ष महान विभूतियां भी शीश झुकाती हैं।
सच्ची श्रद्धा से धर्म का पालन करने वाले और धर्म-कर्म में अग्रणी व्यक्ति को सभी प्यार करते हैं।
जिस व्यक्ति को करोड़पति, राजा, योद्धा, बलवान, शास्त्री और बहादुर होने का घमंड होता है, वह अगले जन्म में दास बनता है।
हम करते वह हैं जो हम चाहते हैं पर होता वह है जो वह चाहता है।
शब्दों की ताकत को कम मत समझिए - एक छोटी सी ‘हां’ और छोटी सी ‘न’ पूरी जिंदगी बदल देती है।
साधु-संन्यासियों की सेवा, सम्मान, दुखियों को उदारता से दान देने और सत्कार्यों पर पैसा बहाने वाला व्यक्ति धनी होता है। वह माटी को छू दे तो सोना बन जाता है।
स्वाद के वशीभूत होकर जो लोग पशुओं का मांस खाते हैं, उनकी मीठी वाणी से भी श्रोता आकर्षित नहीं होते।
तपस्वी तथा भगवान का भक्त सुंदर, स्वस्थ और बुद्धिमान होता है।
प्राणीमात्र पर दयाभाव रखने से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं। ऐसे व्यक्ति को मनचाही वस्तु हमेशा मिलती रहती है।
तपस्वी तथा भगवान का भक्त सुंदर, स्वस्थ और बुद्धिमान होता है।
प्राणीमात्र पर दयाभाव रखने से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं।
भयभीत प्राणियों को अभयदान देने वाला व्यक्ति निर्भीक होता है जो व्यक्ति रोगी और वृद्ध तपस्वियों की भक्ति भाव से सेवा करता है वह बलवान होता है।