Palmistry: हाथ की रेखाओं से जानें अपना भविष्य

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 25 Jul, 2022 12:24 PM

palmistry

हस्त रेखाओं का अध्ययन करने से पूर्व कुछ मूलभूत जानकारियां प्राप्त करना आवश्यक है। कलाई से आगे मणिबंध से लेकर मध्यमा के अग्र भाग तक को हथेली कहते हैं। इनमें चार उंगलियां

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

How do I read my palm lines: हस्त रेखाओं का अध्ययन करने से पूर्व कुछ मूलभूत जानकारियां प्राप्त करना आवश्यक है। कलाई से आगे मणिबंध से लेकर मध्यमा के अग्र भाग तक को हथेली कहते हैं। इनमें चार उंगलियां और एक अंगूठा होता है, सुडौल हथेली कोमल एवं सौभाग्यशाली लोगों की होती है। हथेली का रंग गुलाबी या आरक्त होना चाहिए। ऐसी हथेली व्यक्ति के स्वास्थ्य को प्रदर्शित करती है। हस्त रेखा विज्ञान के अनुसार हाथ पांच प्रकार के होते हैं :

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें

PunjabKesari palmistry
अत्यंत छोटे हाथ वाला व्यक्ति झगड़ालू, धोखेबाज, चालू, दूसरों को नीचा दिखाने वाला होता है। समाज की प्रगति में इसका योगदान नहीं होता। यह स्वार्थी होता है।

अत्यंत छोटे हाथ से कुछ बड़े हाथ को छोटा हाथ कहते हैं। ऐसे हाथ वाला व्यक्ति गप्पें अधिक मारता है। काम कम करता है। ऐसा व्यक्ति अपने चारों ओर आडंबरपूर्ण वातावरण बनाए रखता है।

सामान्य हथेली वाले व्यक्ति व्यावहारिक बुद्धि के होते हैं। इनके दिमाग में समाज के प्रति अच्छी भावना होती है। इनका जीवन निरंतर संघर्षशील होता है। संघर्ष के बल पर प्रगति करते हैं।

लम्बा हाथ रखने वाले व्यक्ति न अधिक प्रसन्न होते हैं और न अधिक चिंता करते हैं। सामान्यत: ऐसे व्यक्ति समाज के लिए परिवार  के लिए उपयोगी होते हैं। इनमें इच्छाशक्ति अधिक होती है। विश्वासपात्र बनकर स्वयं दूसरों पर भी विश्वास करते हैं। ऐसे व्यक्ति की प्रगति धीरे-धीरे होती है।

अत्यंत लम्बे हाथ वाले व्यक्ति के बारे में यदि कहा जाए कि यह समाज, वातावरण परिस्थितियों से शीघ्र घबराने वाले होते हैं तो अनुचित न होगा। समाज की दृष्टि से ये व्यक्ति उपयोगी नहीं होते।

PunjabKesari palmistry

Palms in astrology हथेलियां
हथेलियों की दृष्टि से सामान्य और सामान्य से बड़ी हथेली शुभ मानी गई गई है। यदि हथेली में लचीलापन हो और व्यक्ति की मुट्ठी शीघ्र कसी-बंधी होती हो और शीघ्र खुलती हो तो ऐसा व्यक्ति समाज और परिवार के लिए उपयोगी तथा महत्वपूर्ण होता है।

Nails in astrology नाखून
नाखूनों का रंग हल्का गुलाबी होना चाहिए। नाखूनों पर दाग-धब्बे लगा या नाखूनों का कटा-फटा होना रोगसूचक होता है। ऐसे नाखून वाले व्यक्ति मलीन, दरिद्र या रोगी होते हैं।

नाखून जहां जुड़े होते हैं वहां सफेद अर्धचंद्र बन जाता है। यह अर्धचंद्र बनते बिगड़ते रहते हैं। यह व्यक्ति के लिए शुभ होते हैं। इनका बनना भावी जीवन की प्रगति दर्शाता है।

PunjabKesari palmistry
प्रमुख संकेत
तर्जनी में अर्धचंद्र बने तो नौकरी, राज्य कृपा या व्यवसाय की प्रगति मिलती है। मध्यमा से अद्र्धचंद्र बने तो व्यक्ति को शनि संबंधी वस्तुओं या कार्यों से लाभ मिलने की आशा करनी चाहिए। अनामिका का अर्धचंद्र, पद प्रतिष्ठा, सामाजिक आदर और धन देता है।

कनिष्ठिका पर बना अद्र्धचंद्र व्यापारिक लाभ, धार्मिक यश तथा बुद्धि संबंधित कार्यों में प्रगति देता है तथा अंगूठे के नाखून बना अर्धचंद्र समस्त प्रकार के सुख-वैभव एवं प्रत्येक कार्य क्षेत्र में सफलता देता है।

तर्जनी उंगली और अंगूठे के बीच में जितना अधिक अंतर होता है, उतना ही शुभ माना जाता है।

अंगूठा इच्छाश्कित का केन्द्र होता है। इसका लचीलापन व्यक्ति की क्रियाशीलता और उर्वरा शक्ति का द्योतक है। तर्जनी के मूल तक या प्रथम पोरके मध्य तक का अंगूठा शुभ परिणाम देता है। अधिक लम्बा अंगूठा दोष देने वाला होता है।

Fingers in astrology उंगलियां
पहली उंगली का नाम तर्जनी है। यह बृहस्पति ग्रह का प्रतिनिधित्व करती है। इसके नीचे जो उभरा हिस्सा होता है, उसे बृहस्पति पर्वत कहते हैं जिसका उभरा हुआ होना व्यक्ति की इच्छाशक्ति, विद्वता, शिक्षा ज्ञान, शैक्षणिक कार्य, जीवन की प्रगति, नेतृत्व, संचालन, लेखन, न्यायप्रियता, यश प्राप्ति, आॢथक पक्ष की प्रबलता देता है। गुरु पर्वत जिनता अधिक विकसित होगा, उतना ही व्यक्ति गुरु के लक्षणों एवं गुणों से परिपूवर्ण होगा।

तर्जनी के बगल वाली उंगलियों से सबसे बड़ी जो होती है, उसे मध्यमा कहते हैं। यह शनि की उंगली मानी जाती है। इसके मूल के पर्वत को शनि पर्वत कहते हैं। यह उंगली और इसके मूल में स्थित शनि पर्वत हथेली में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है क्योंकि भाग्य रेखा का इस पर्वत पर पहुंचना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। जिन लोगों का शनि पर्वत विकसित है वे शनि प्रभावित व्यक्ति होते हैं और शनि कार्य-व्यापार में सफलता प्राप्त करते हैं।

मध्यमा की बगल की उंगली का नाम अनामिका है। इसके मूल में उभरे हुए भाग को सूर्य पर्वत कहते हैं। हृदय रेखा इसी के नीचे से गुजरती है। इसका विकसित एवं उन्नत होना सबसे अधिक शुभत्व देने वाला होता है। सूर्य आत्मकारक एवं राज्य कारक गृह माना जाता है। अत: सूर्य पर्वत से राजनीतिक लाभ यश लाभ आकस्मिक धन प्राप्ति तथा राजसी वैभव का सुख देखना चाहिए।

अनामिका के बगल वाली उंगली में जो सबसे छोटी होती है, उसे कनिष्ठिका कहते हैं। उसके मूल में जो उभरा हुआ हिस्सा होता है, उसे बुध पर्वत कहते हैं। विकसित एवं उन्नत बुध पर्वत वाले व्यक्ति तीव्र बुद्धि एवं उर्वरा मस्तिष्क के समझे जाते हैं।

कनिष्ठिका उंगली के नीचे से मणिबंध का हिस्सा चंद्र पर्वत कहलाता है। इस पर्वत का प्रभाव व्यक्ति के मन पर अधिक होता है। सौंदर्यप्रियता, कल्पनाशीलता, साहित्य एवं कला के प्रति प्रेम इसी पर्वत से देखे जाते हैं। यश, लाभ तथा हृदय की कोमलता, मन की रसिकता एवं भावुकता का अध्ययन इसी पर्वत से करना चाहिए जिन व्यक्तियों का चंद्र पर्वत उभरा हुआ होता है, वे प्रकृति प्रिय, सौंदर्य प्रिय होते हैं।

अंगूठे के नीचे जीवन रेखा से घिरे हुए मणिबंध तक फैले हुए भाग को शुक्र पर्वत कहते हैं। इस पर्वत से शुक्र ग्रह की कारक स्थितियों का ज्ञान किया जाता है। भौतिक सुखों को देने वाला, पत्नी सुख देने वाला तथा जीवन के प्रति आकर्षण पैदा करने वाला यह स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। विकसित शुक्र पर्वत का व्यक्ति ऐश्वर्यवान, सांसारिक सुखों को प्राप्त करने वाला, धनाढ्य, प्रेम भावना से परिपूर्ण, कला संगीत एवं साहित्य का प्रेमी होता है।

PunjabKesari kundli

 

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!