रंगपंचमी के दिन गोवा में भी होता है भव्य उत्सव

Edited By Jyoti,Updated: 31 Mar, 2021 03:45 PM

rangpanchami 2021 in goa

पिछले दिनों देश में हर जगह होली का पर्व धूम धाम से मनाया गया, कहीं फूलों की होली, कहीं लठमार होली तो कहीं कपड़ा फाड़ होली।

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पिछले दिनों देश में हर जगह होली का पर्व धूम धाम से मनाया गया, कहीं फूलों की होली, कहीं लठमार होली तो कहीं कपड़ा फाड़ होली। जिसके बाद अब रंगपंचमी का त्यौहार आने वाला है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रंग पंचमी का त्यौहार मुख्य रूप से महाराष्ट्र में मनाई जाती है। इस दौरान लोग विशेष भोजन बनाते हैं, जिसमें मुख्यत पूरनपोली होता है। प्राचीन काल के अनुसार उस समय होली का पर्व कई दिनों तक मनाया जाता था, जिसका अंतिम दिन रंग पंचमी के दिन होता था, इस दिन के उपरांत कोई भी रंगों से नहीं खेलता था।

आज हम आपको रंग पंचमी से संबंधित ही कुछ ऐसा बताने जा रह हैं, जिसके बारे में शायद आप नहीं जानते होंगे। दरअसल रंग पंचमी वाले त्यौहार के दिन गोवा में भी एक खास उत्सव मनाया जाता है, जिसे शिमीगो उत्सव के नाम से जाना जाता है। क्या है यह उत्सव आइए जानते हैं-

ऐसी धार्मिक मान्यताएं प्रचलित हैं कि गोवा की रचना भगवान परशुराम जी ने की थी। ऐसी कथाएं प्रचलित हैं कि उन्होंने अपने बाणों से ही समुद्र को कई योजन पीछे धकेल दिया था। यही कारण है कि आज भी गोवा के कई स्थानों का नाम ऐसा है जो धार्मिक महत्व रखता है। जैसे वाणावली, वाणस्थली आदि। बताया जाता है उत्तरी गोवा में हरमल के पास भूरे रंग का एक पर्वत है, जिसे भगवान परशुराम के यज्ञ करने का स्थल माना जाता है। ऐतिहासिक मान्यताओं के अनुसार गोवा के बारे में सबसे पहले महाभारत में लिखा गया था। उस समय गोवा का नाम गोपराष्ट्र अर्थात गाय चराने वाले का देश हुआ करता था। माना जाता है कि गोवा गोपराष्ट्र का ही अपभ्रंश है। आइए जानते हैं यहां मनाए जाने वाले उस उत्सव के बारे में जो रंग पंचमी के दिन यहां होता है।

बताया जाता है कि गोवा में होली का उत्सव होलिका दहन के 5 दिन बाद यानि रंगपंचमी के दिन मनाया जाता है। इस रंग उत्सव को स्थानीय लोगों की भाषा में शिमिगो कहते हैं। इसके अलावा इसे शिमगो व शिमगा के भी नाम से भी जाना जाता है। हालांकि कहा जाता है कि इस उत्सव की शुरुआत तो होलिका दहन से ही होती है।

पौराणिक किंवदंतियों के अनुसार यह त्योहार यहां के मछुआरों के बीच खासा लोकप्रिय है। इसमें रंगों के अलावा लोग जमकर नाच-गाना, खाना-पीना और आमोद-प्रमोद करते हैं।

बता दें गोवा में मुख्य रूप से कोंकण भाषा बोली जाती है। यह कोकणस्थ लोगों का त्योहार है। ग्रामीण लोग भी इस पर्व को धूम धाम से मनाते हैं। छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र के कुछ हिस्से में गोंड़ी भाषी लोग होली को शिमगा सगगुम पाबुन कहते हैं। इसके अलावा बता दें गोवा में लोग अपनी स्थानीय भाषा में शिव जी को शंभू शेक कहते हैं।

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