Kundli Tv- ये है भारत का एकमात्र एेसा मंदिर जहां बिना सूंड के विराजमान हैं श्रीगणेश

Edited By Jyoti,Updated: 15 Nov, 2018 01:22 PM

religious place of gad ganesh temple

हिंदू धर्म में गणेश जी को प्रथम पूज्य देव कहा गया है। किसी भी मांगलिक कार्य की शुरूआत करने से पहले हर कोई इनका आवाहन करता है।

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हिंदू धर्म में गणेश जी को प्रथम पूज्य देव कहा गया है। किसी भी मांगलिक कार्य की शुरूआत करने से पहले हर कोई इनका आवाहन करता है। धार्मिक ग्रंथों में वर्णित कथाओं के मुताबिक भगवान शिव ने पहले क्रोध में आकर अपने पुत्र गणेश का सिर धड़ से काटकर अलग कर दिया। लेकिन क्रोध के शांत होते ही उन्होंने उनके धड़ पर हाथी के बच्चे का सिर लगाकर उन्हें जीवित किया था। जिसके बाद भगवान गणेश की पहचान उनकी सूंड बन गई थी। इसी के चलते आज देश में गजानन के जितने भी मंदिर स्थापित है, वहां वह अपनी सूंड के साथ विराजमान हैं। परंतु बहुत कम लोग जानते होंगे कि भारत देश में एक एेसा भी मंदिर हैं, जहां वे बिना सूंड के विराजमान हैं। जी हां, आपको शायद ये जानकर यकीन न हो, लेकिन भारत में ही गणेश का एक एेसा मंदिर हैं, जहां उनके बाल स्वरूप की पूजा होती है। यही कारण है कि यहां वे अपनी सूंड के बिना विराजमान हैं।
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भगवान गणेश जी का यह अनोखा मंदिर राजस्थान के जयपुर में स्थित है जो गढ़ गणेश के नाम से प्रसिद्ध है। यह मंदिर जयपुर की उत्तर दिशा में अरावली की ऊंची पहाड़ी पर मुकुट के समान नज़र आता है। इस प्राचीन मंदिर तक जाने के लिए लगभग 500 मीटर की चढ़ाई पूरी करनी पड़ती है। कहा जाता है कि मंदिर इतनी उंचाई पर बसा हुआ है कि यहां पहुंचने के बाद जयपुर की भव्ययता देखते ही बनती हैं। गढ़ गणेश मंदिर से पूरा शहर नज़र आता है।
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मंदिर की स्थापना
कहा जाता है यहां मंदिर में मौजूद प्रतिमा की तस्वीर लेना मना है। पौराणिक मान्यता है कि जिस पहाड़ी पर यह मंदिर स्थित है उसकी तलहटी में ही अश्वमेघ यज्ञ का आयोजन हुआ था। गणेश चतुर्थी के दूसरे दिन यहां पर भव्य मेला आयोजित होता है। इतिहास की मानें तो मंदिर का निर्माण जयपुर के संस्थापक सवाई जयसिंह द्वितीय ने कराया। सवाई जयसिंह द्वितीय ने जयपुर में अश्वमेघ यज्ञ का आयोजन किया था। इस दौरान तांत्रिक विधि से इस मंदिर की स्थापना कराई थी।
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कहते हैं कि गढ़ गणेश मंदिर का निर्माण खास तरह से कराया गया है। राज परिवार के सदस्य जिस महल में रहते हैं उसे चंद्र महल के नाम से जाना जाता है। यह सिटी पैलेस का हिस्सा है। चंद्र महल की ऊपरी मंजिल से इस मंदिर में स्थापित गणेश जी की प्रतिमा के दर्शन होते हैं। कहा जाता है कि पूर्व राजा-महाराजा गोविंद देव जी और गढ़ गणेश जी के दर्शन करके अपनी दिनचर्या की शुरुआत करते थे। मंदिर में दो बड़े मूषक भी हैं, जिनके कान में दर्शनार्थी अपनी मन्नत मांगते हैं।
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