रावण के सर्वनाश का कारण था एक बैल

Edited By Lata,Updated: 25 Feb, 2019 12:21 PM

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वैसे तो बैल का चरित्र उत्तम और समर्पण भाव वाला बताया गया है। इसके अलावा बल और शक्ति का भी प्रतीक है। बैल को मोह-माया और भौतिक इच्छाओं से परे रहने वाला प्राणी भी माना जाता है।

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वैसे तो बैल का चरित्र उत्तम और समर्पण भाव वाला बताया गया है। इसके अलावा बल और शक्ति का भी प्रतीक है। बैल को मोह-माया और भौतिक इच्छाओं से परे रहने वाला प्राणी भी माना जाता है। यह सीधा-साधा प्राणी जब क्रोधित होता है तो सिंह से भी भिड़ लेता है। यही सभी कारण रहे हैं जिसके कारण भगवान शिव ने बैल को अपना वाहन बनाया। 
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भगवान शिव के प्रमुख गणों में से एक है नंदी। कहते हैं कि जैसे गायों में कामधेनु श्रेष्ठ है उसी तरह बैलों में नंदी श्रेष्ठ है। भोलेनाथ नंदी को अपना वाहन ही नहीं बल्कि अपने पुत्र रूप में मानते थे। आज हम आपको नंदी सं जुड़ी एक कथा के बारे में बताएंगे जिसमें उन्होंने रावण को श्राप दिया था और जो रावण की मौत का कारण बना था। 
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एक पौराणिक कथा के अनुसार शिलाद मुनि अपने वंश का अंत होते देख बहुत चिंता सताने लगी। तभी उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप आरंभ कर दिया। भगवान शंकर तप से प्रसन्न हुए और उन्होने मुनि शिलाद को वर दिया कि वो स्वयं बाल रूप में मुनि शिलाद के घर प्रकट होंगे। कुछ समय बाद भूमि जोतते समय शिलाद को भूमि से एक बालक मिला। मुनि शिलाद ने उसका नाम नंदी रखा। एक दिन भगवान शंकर द्वारा भेजे गए मित्रा-वरुण नाम के दो मुनि शिलाद के आश्रम आए। उन्होंने नंदी को देखकर कहा कि नंदी अल्पायु है। नंदी को जब यह ज्ञात हुआ तो वह महादेव के महामृत्यंजय मंत्र यानी 'ऊं नमः शिवाय' का जप कर तप करने वन में चले गए। वन में उन्होंने भगवान शिव का ध्यान आरंभ किया।
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भगवान शिव नंदी के तप से प्रसन्न हुए व दर्शन देकर कहा, नंदी! तुम्हें मृत्यु से भय कैसे हो सकता है? तुम अजर-अमर, अदु:खी हो। मेरे अनुग्रह से तुम्हें जरा, जन्म और मृत्यु किसी से भी भय नहीं होगा। भगवान भोलेनाथ ने माता सती की सम्मति से वेदों के समक्ष गणों के अधिपति के रूप में नंदी का अभिषेक करवाया। इस तरह नंदी नंदीश्वर हो गए और अपने गणों में सर्वोत्तम के रूप में स्वीकार कर लिया।
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हिंदू धर्म ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि जब नंदी का रावण ने अपमान किया तो नंदी ने उसके सर्वनाश को घोषणा कर दी थी। रावण संहिता के अनुसार कुबेर पर विजय प्राप्त कर जब रावण लौट रहा था तो वह थोड़ी देर कैलाश पर्वत पर रुका था। वहां शिव के पार्षद नंदी के कुरूप स्वरूप को देखकर रावण ने उसका मजाक उड़ाया। नंदी ने क्रोध में आकर रावण को यह श्राप दिया कि मेरे जिस पशु स्वरूप को देखकर तू इतना हंस रहा है। उसी पशु स्वरूप के जीव तेरा सर्वनाश का कारण होंगे।
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