Edited By Jyoti,Updated: 16 Oct, 2020 04:27 PM
नवरात्रों में देवी मां को प्रसन्न करने के लिए न केवल ज्योतिष उपाय किए जाते हैं, बल्कि कहा जाता है कि इस दौरान देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए वास्तु उपाय भी किए जाते हैं। इसी कड़ी में हम आपको अपनी वेबसाइट के माध्यम से बता चुके हैं।
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नवरात्रों में देवी मां को प्रसन्न करने के लिए न केवल ज्योतिष उपाय किए जाते हैं, बल्कि कहा जाता है कि इस दौरान देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए वास्तु उपाय भी किए जाते हैं। इसी कड़ी में हम आपको अपनी वेबसाइट के माध्यम से बता चुके हैं। आज भी हम आपको इसी से जुड़ी से जानकारी देने वाले हैं। बता दें बीते दिन हमने आपको बताया था कि नवरात्रों में देवी दुर्गा की पूजा के दौरान किन वास्तु टिप्स को अपनाना चाहिए। जिसमें हमने आपको कलश स्थापना किस दिशा दशा में होनी चाहिए जैसी अन्य जानकारी दी। इस आर्टिकल में हम आपको इसी से जुड़ी अन्य जानकारी देने वाले हैं कि वास्तु के अनुसार इस दौरान किन नियमों का पालन करना चाहिए। चलिए जानते हैं-
वास्तु के मुताबिक दक्षिण और दक्षिण पूर्व दिशा देवी दुर्गा का क्षेत्र माना जाता है। इसलिए देवी के भक्तों को ये हिदायत दी जाती है कि पूजा करते समय प्रत्येक जातक का मुख दक्षिण या पूर्व दिशा में होना चाहिए। ऐसा कहा जाता है इससे जातक के घर में सुख-समृद्धि की बढ़ती है। क्योंकि वास्तु विशेषज्ञों का मानना है पूर्व दिशा शक्ति और समृद्धि की प्रतीक होती है। तो वहीं इस दिशा की तरफ पूजा करने से हमारी प्रज्ञा यनि बुद्धि जागृत होती है, तथा मानसिक शांति प्राप्त होती है।
नवरात्रों में जहां पर भी देवी दुर्गा का पूजन कक्ष स्थापित करें, ध्यान रहे उसके मुख्य द्वार पर आम या अशोक के हरे-हरे पत्तों की बंदनवार ज़रूर लगाएं। कहा जाता है इससे घर में नकारात्मक शक्तियां घर में प्रवेश नहीं करती। मगर इस बात का खास ख्याल रखें जब इस बंदनवार के पत्ते सूख जाएं तो इसे समय रहते बदल दें।
चूंकि नवरात्रों में अखंड ज्योति जलाने की परंपरा है तथा इसका अधिक महत्व भी है। इसलिए वास्तु में बताया गया है कि इसे रखने समय दिशा का खास ध्यान रखना चाहिए। इसे रखने के लिए हमेशा पूजा स्थल के आग्नेय यानि दक्षिण-पूर्व का चयन करना चाहिए। इसका कारण ये है कि इस दिशा का अग्नितत्व का प्रतिनिधित्व करती है, ऐसे में इस दिशा के समस्त प्रकार के वास्तुदोष दूर हो जाते हैं। साथ ही साथ रुका हुआ धन प्राप्त होता है व जीवन में शत्रुओं से मुक्ति मिलती है। इस बात का भी खास ध्यान रखना चाहिए कि माता रानी के समक्ष जलाए जाने वाले दीए में शुद्ध घी का प्रयोग हो। मान्यता है देवी दुर्गा के समक्ष शुद्ध घी का दीपक जलाने से बुरी शक्तियां का प्रभाव दूर होता है, तथा रोग एवं क्लेश दूर होते हैं।
इसके अलावा पूजा स्थल के बाहर दरवाज़े पर हल्दी,सिंदूर या रोली से दोनों तरफ स्वास्तिक बनाएं। माना जाता है इससे वास्तु दोषों से उत्पन बुरे प्रभाव दूर होते हैं। इसके अलावा वास्तुशास्त्र के अनुसार शंख ध्वनि व घंटानाद करने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और आस-पास का वातावरण शुद्ध व पावन हो जाता है।