ऋषियों के अस्थियों के ढेर से बना है सिद्धा पहाड़, जानें कहां ये स्थल?

Edited By Jyoti,Updated: 30 May, 2021 02:31 PM

siddha mountain satna

रामायण ग्रंथ के अनुसार श्री राम जब 14 साल के लिए वनवास के लिए अयोध्या छोड़कर गए, तो इन 14 वर्षों में अनेकों जगहों पर इनके चरण पड़े। इस कड़ी में आगे भी हम अपनी वेबसाइट

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रामायण ग्रंथ के अनुसार श्री राम जब 14 साल के लिए वनवास के लिए अयोध्या छोड़कर गए, तो इन 14 वर्षों में अनेकों जगहों पर इनके चरण पड़े। इस कड़ी में आगे भी हम अपनी वेबसाइट के माध्यम से हम आपको कई ऐसे स्थलों के बारे में बता चुके हैं जिनका संबंध श्री राम से है। आज भी हम आपको रामायण काल से जुड़े तीन धार्मिक स्थलों के बारे में बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं कौन से हैं वो धार्मिक स्थल- 

अश्वमुनि आश्रम, सतना
वाल्मीकि रामायण में अश्वमुनि के आश्रम का वर्णन ऋषियों के लिए सुरक्षित स्थल के रूप में आया है। शरभंग आश्रम के पास अश्वमुखी देवी का मंदिर है। यह भी मान्यता है कि यह देवी बहुत वीरांगना थीं तथा उन्होंने राक्षसों का संहार किया था। शोध तथा स्थल के क्रम के अनुसार अश्वमुनी का आश्रम यही है। 
(ग्रंथ उल्लेख : वा.रा. 3/116/20, 21, 22)

सिद्धा पहाड़, सतना
सिद्धा पहाड़ ऋषियों की अस्थियों के ढेर से बना है। इसमें रंग-बिरंगी बजरी निकलती है। यहीं श्रीराम ने भूमि को राक्षसों से विहीन करने की प्रतिज्ञा की थी।
(ग्रंथ उल्लेख : वा.रा. 3/6 पूरा अध्याय, मानस 3/8/3 से 3/9 दोहा तक) —डा. राम अवतार

बृहस्पति कुंड पहाड़ी, खेड़ा, पन्ना
देव गुरु बृहस्पति ने यहां यज्ञ किए तथा आश्रम की स्थापना की थी। बाद में आश्रम में ऋषियों से मिलने श्रीराम भी वनवास काल में आए थे। पहाड़ी खेड़ा से दक्षिण दिशा में 6 कि.मी. दूर बृहस्पति कुंड है। यहां बाघिन नदी की घाटी की प्राकृतिक छटा मन मोह लेती है। 
(ग्रंथ उल्लेख : वा.रा. 3/6 पूरा अध्याय, मानस 3/8/3 से 3/9 दोहा तक)
 

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