इस दिशा में स्कंदमाता के स्वरूप को करें स्थापित, मिलेंगे शुभ परिणाम

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 09 Oct, 2021 01:34 PM

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प्राणी मात्र में चेतना का संचार करने वाली देवी स्कंदमाता को पांचवी नवरात्रि में पूजा का स्थान प्राप्त है। देवी स्कंदमाता कुमार कार्तिकेय जी की माता होने के कारण स्कंद माता के रूप में पूजी जाती हैं।

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Navratri Day 5: प्राणी मात्र में चेतना का संचार करने वाली देवी स्कंदमाता को पांचवी नवरात्रि में पूजा का स्थान प्राप्त है। देवी स्कंदमाता कुमार कार्तिकेय जी की माता होने के कारण स्कंद माता के रूप में पूजी जाती हैं। कार्तिकेय जी का एक नाम स्कंद भी है। देवी के इस रूप के पूजन से मूर्ख प्राणी को भी ज्ञान हो जाता है। देवी का यह रूप अत्यंत करुणामय एवं सौम्य है। स्कंदमाता चार भुजाओं वाली देवी हैं। जो एक हाथ में कुमार कार्तिकेय जी को गोद में लिए होती हैं। दूसरे हाथ में कमल तीसरे हाथ में शास्त्र व चौथा हाथ वर मुद्रा में रहता है। इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इन देवी की साधना करने वाले साधक को अद्वितीय ज्ञान की प्राप्ति होती है। इनकी कृपा से भक्तों के बीच में नव चेतना का संचार होता है व रचनात्मक शक्ति का विकास होता है। इस बार के शारदीय नवरात्रि में तिथि क्षय होने के कारण चौथा और पांचवां नवरात्र एक ही दिन में पड़ रहा है। जिसके कारण देवी कुष्मांडा और स्कंदमाता का पूजन एक ही दिन में किया जाएगा। देवी स्कंदमाता की कृपा से व्यक्ति अपने जीवन में प्रगति व नई सोच से आगे बढ़ता है।

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5th Day Maa Skandmata Puja Vidhi: सिंह पर सवार इस देवी की पूजन विधि करते समय पूरी स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए। प्रातः काल में पूजन के समय देवी को शुद्ध घी से बने भोजन का भोग लगाएं। इसके पश्चात दुर्गा सप्तशती के पाठ और दुर्गा महिमा का पाठ जरूर करें। देवी के इन मंत्रों का जितना हो सके जाप करें, उसके पश्चात बताशे का भोग लगाकर बांटे। संतान प्राप्ति हेतु जपें स्कंद माता का मंत्र

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Skandmata mantra सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
 
ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥
 
स्कंद माता पूजा के दौरान छोटी कन्याओं का पूजन बड़ी श्रद्धा भाव से करें। इसके साथ-साथ छोटे बाल रूपी बच्चों की भी पूजा करें व उनको दान-दक्षिणा अवश्य दें।

स्कंदमाता की साधना से बुध ग्रह की शांति होती है, उसके दोषों का निवारण होता है क्योंकि यह देवी बुद्धि में विकास करने का आशीर्वाद भी देती हैं।

देवी के स्वरूप को घर के उत्तर की दिशा में स्थापित करने से व्यापार व वाणी में अच्छे परिणाम मिलते हैं।

नीलम
8847472411

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