Smile please: हर दिल अजीज बनने लिए व्यवहार में Add करें ये 1 चीज

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 11 May, 2023 09:20 AM

smile please

डिक्शनरी की परिभाषा के अनुसार मुस्कराहट, चेहरे का एक ऐसा भाव है जिसमें होंठों के किनारे हल्के से ऊपर की तरफ उठ जाते हैं

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Smile please: डिक्शनरी की परिभाषा के अनुसार मुस्कराहट, चेहरे का एक ऐसा भाव है जिसमें होंठों के किनारे हल्के से ऊपर की तरफ उठ जाते हैं और इससे एक व्यक्ति का उत्साह, उसकी रजामंदी या खुशी जाहिर होती है। मुस्कान तथा प्रसन्नता हमारे शरीर एवं मन पर आश्चर्यजनक प्रभाव डालते हैं और शोक, भय, क्लेश जैसी प्राणघातक वृत्तियों का उन्मूलन क्षण भर में कर डालते हैं और इसी वजह से आनंद को ईश्वरीय गुण कहा गया हैं क्योंकि वह हमारे शरीर में मधुर रस उत्पन्न करता है और किसी अव्यक्त मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रिया से शरीर और मन पर तत्काल शान्ति का अलौकिक प्रभाव डालता है। 

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भौतिकता की अंधी दौड़ में भागते हुए इंसानों को संयोग से यदि कोई मुस्कुराता हुआ व्यक्ति दिख जाता है, तो उसे देखकर वे बड़े प्रसन्न हो जाते हैं और उसकी ओर आकर्षित होते हैं। इसके पीछे का मूल कारण है ‘सकारात्मक प्रभाव’ जो केवल एक मुस्कान मात्र से व्यक्ति को अपने सर्व दु:ख-दर्द भुला देता है और सुख व संतोष की अनुभूति कराता है और इसीलिए मनुष्य को जब भी हंसने का अवसर मिले, तब जी भर कर खूब हंसना चाहिए क्योंकि जो व्यक्ति हंसना नहीं जानता, वह जीना नहीं जानता।

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हंसने वाले की ओर सारा संसार आकर्षित होता है और रोने वाले से सब दूर भागते हैं। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार मनुष्य जितनी देर हंसता है, उतनी ही अवधि की वृद्धि वह अपने जीवन में कर लेता है। तभी तो कहते हैं कि जो सदा हंसता-मुस्कराता है, वह 80 वर्ष की अवस्था में भी नौजवान लगता है, वहीं इसके बिल्कुल विपरीत जो मन-मलिन और उदास रहता है, वह बीस वर्ष की आयु में भी बूढ़ा लगने लगता है।

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हंसने से अनेक द्रव्य मस्तिष्क में प्रवाहित होते हैं जो हमें अनेक बीमारियों से बचाते हैं और तंदरुस्त रखते हैं, इसीलिए ही हास्य को स्वास्थ्य का मूल-मंत्र माना गया है। ईर्ष्या, द्वेष, क्रोध आदि उत्तेजनाओं से जो शारीरिक अस्तव्यस्तता उत्पन्न हो जाती है, मनोविकारों का जो विष अवयवों में संचित हो जाता है वह हंसने से दूर हो जाता है। हंसने से फेफड़ों को भी नवीन शक्ति मिलती है, जिससे शरीर का रक्त शुद्ध और सशक्त बनता है।

आज एक तरफ अनेक प्रकार के टी.वी. धारावाहिक लोगों को जबरदस्ती हंसाने का प्रयास कर रहे हैं तो दूसरी ओर महानगरों में बने विविध ‘लाफिंग क्लब’ मानव के चेहरे पर जबरदस्ती हंसी लाने का प्रयास कर रहे हैं परन्तु कृत्रिम हास्य में क्या आनंद ! 
असली आनंद तो वास्तविक मुस्कान में है, जो बदकिस्मती से हमें किसी के भी चेहरे पर दिखती नहीं है। क्यों ? इसका कारण है हमारे मन का मैल। सबसे पहले उसे दूर करें।

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