Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 Apr, 2024 11:11 AM
मनुष्य अपनी आवश्यकता अनुसार इस संसार से वस्तुएं प्राप्त करता है। जब प्रत्येक जीव के लिए प्रकृति में वस्तुएं उपलब्ध हैं तो पशु-पक्षी उन्हीं वस्तुओं से संतुष्ट रहते
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Smile please: मनुष्य अपनी आवश्यकता अनुसार इस संसार से वस्तुएं प्राप्त करता है। जब प्रत्येक जीव के लिए प्रकृति में वस्तुएं उपलब्ध हैं तो पशु-पक्षी उन्हीं वस्तुओं से संतुष्ट रहते हैं जबकि मनुष्य क्यों असंतुष्ट रहता है ? इसका कारण एक ही है कि पशु-पक्षियों को संग्रह की चिंता नहीं होती, वे कल की चिंता नहीं करते, केवल वर्तमान में जीते हैं, उन्हें पता है कि कल होता ही नहीं।
भविष्य के लिए संग्रह ही दुख का कारण है। अगर पशु-पक्षी की तरह मनुष्य भी वर्तमान में जीने लगे तो वह भी दुखी नहीं होगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि दुख कल की चिंता में है, कल के लिए जो संग्रह हो रहा है, उसमें दुख है। वही दुख मन में असंतोष पैदा करता है, जिस कारण आज प्रत्येक व्यक्ति अपने सिर पर भविष्य की चिंता की गठरी लिए भागे जा रहा है। पक्षी अपने जीवन के एक-एक क्षण को भोग लेता है और मनुष्य को पूरे जीवन में एक क्षण भी जीने का सौभाग्य नहीं मिलता।
कोयल आधी रात में वृक्ष की डाली पर गाती रहती है और मनुष्य उस समय चिंता की अग्नि में जलता रहता है क्योंकि उसे और चाहिए। उसे जो भी प्राप्त हो जाता है, उससे अधिक पाने के लिए वह और व्यग्र हो जाता है। तभी वह अशांत रहता है।