एशिया का सबसे बड़ा शिवलिंग सदियों बाद भी है अधूरा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 07 Dec, 2019 07:38 AM

somnath of north india

भोजेश्वर मंदिर (जिसे भोजपुर मंदिर भी कहते हैं) मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित भोजपुर नामक गांव में बना एक मंदिर है। यह मंदिर बेतवा नदी के तट पर विंध्य पर्वतमालाओं के मध्य एक पहाड़ी पर स्थित है।

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भोजेश्वर मंदिर (जिसे भोजपुर मंदिर भी कहते हैं) मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित भोजपुर नामक गांव में बना एक मंदिर है। यह मंदिर बेतवा नदी के तट पर विंध्य पर्वतमालाओं के मध्य एक पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर का निर्माण एवं इसके शिवलिंग की स्थापना धार के प्रसिद्ध परमार राजा भोज (1010-1043 ई.) ने करवाई थी। उनके नाम पर ही इसे भोजपुर मंदिर या भोजेश्वर मंदिर भी कहा जाता है, हालांकि कुछ किंवदंतियों के अनुसार इस स्थल के मूल मंदिर की स्थापना पांडवों द्वारा की गई मानी जाती है।

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इसे ‘उत्तर भारत का सोमनाथ’ भी कहा जाता है। यहां के शिलालेखों से 11वीं शताब्दी के हिंदू मंदिर निर्माण की स्थापत्य कला का ज्ञान होता है और पता चलता है कि गुंबद का प्रयोग भारत में इस्लाम के आगमन से पूर्व भी होता था। इस अपूर्ण मंदिर की विशाल कार्य योजना को निकटवर्ती पाषाण शिलाओं पर उकेरा गया है। इन मानचित्र आरेखों के अनुसार यहां एक वृहत मंदिर परिसर बनाने की योजना थी, जिसमें ढेरों अन्य मंदिर भी बनाए जाने थे। इसके सफलतापूर्वक पूर्ण हो जाने पर यह मंदिर परिसर भारत के सबसे बड़े मंदिर परिसरों में से एक होता। मंदिर परिसर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा राष्ट्रीय महत्व का स्मारक चिन्हित किया गया है व इसका पुनरुद्धार कार्य कर, इसे फिर से वही रूप देने का सफल प्रयास किया है।

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मंदिर के बाहर लगे पुरातत्व विभाग के शिलालेख के अनुसार इस मंदिर का शिवलिंग भारत के मंदिरों में सबसे ऊंचा एवं विशालतम शिवलिंग है। इस मंदिर का प्रवेश द्वार भी हिंदू भवन के दरवाजों में सबसे बड़ा है। मंदिर के निकट ही इस मंदिर को समर्पित एक पुरातत्व संग्रहालय भी बना है।

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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से करीब 32 किलोमीटर दूरी पर स्थित है शिव का यह मंदिर जहां आज भी अधूरा शिवलिंग स्थापित है। भोजेश्वर या भोजपुर नाम से विख्यात इस मंदिर की स्थापना परमार वंश के राजा भोज ने करवाई थी। यह मंदिर कला का एक बेहद अद्भुत नमूना है। यह मंदिर बेहद विशाल है, जिसका चबूतरा ही 35 मीटर लम्बा है। बहुत समय पहले भोजेश्वर मंदिर के पश्चिम में बहुत बड़ी झील हुआ करती थी, जिस पर एक बांध भी बना हुआ था लेकिन अब उस बांध के सिर्फ अवशेष ही बाकी रह गए हैं।

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इस मंदिर को उत्तर भारत का ‘सोमनाथ’ भी कहा जाता है। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग है जिसका निर्माण एक ही पत्थर से हुआ है। भीम ने अज्ञातवास के दौरान अपने भाइयों के साथ मिलकर साढ़े 21 फीट ऊंचा भव्य शिवलिंग स्थापित किया था। ये एशिया का सबसे बड़ा शिवलिंग है। इस मंदिर की दूसरी विशेषता इसका अधूरापन है। यह मंदिर अधूरा क्यों है? इसका प्रमाण तो नहीं मिला लेकिन स्थानीय कथाओं के अनुसार माता कुंती के लिए पांडवों ने इस मंदिर का निर्माण एक ही रात में पूरा करना था लेकिन मंदिर पूरा होता इससे पहले ही सुबह हो गई इसलिए आज भी यह मंदिर अधूरा ही है।

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