Ramayan: इस जगह राजा दशरथ जी ने किया था पुत्रेष्टि यज्ञ!

Edited By Jyoti,Updated: 21 Jun, 2021 01:07 PM

sri ram mandir basar in hindi

शास्त्रों में कई ऐसी जगहों का वर्णन पड़ने व सुनने को मिलता है, जहां अपने वनवास काल में वह अपने भ्राता लक्ष्मण तथा अर्धांगिनी के साथ रूके थे। ऐसी कई जगहों के बारे में हम आपको बता चुके हैं

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शास्त्रों में कई ऐसी जगहों का वर्णन पड़ने व सुनने को मिलता है, जहां अपने वनवास काल में वह अपने भ्राता लक्ष्मण तथा अर्धांगिनी के साथ रूके थे। ऐसी कई जगहों के बारे में हम आपको बता चुके हैं। इसी कड़ी में हम आपको दो ऐसी अन्य जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं इन स्थलों के बारे में- 

श्री राम मंदिर, बासर, निजामाबाद (आंध्र प्रदेश)
माना जाता है कि इसी स्थान पर मां सरस्वती की कृपा से राजा दशरथ जी ने पुत्रेष्टि यज्ञ का संकल्प किया था। इसकी प्रेरणा वशिष्ठ जी से मिली थी। जहां राजा दशरथ जी आए थे वहीं श्री सीता-राम जी भी आए। इसी स्मृति में यहां श्रीराम मंदिर का निर्माण हुआ जो अब पूर्णत: ध्वस्त हो चुका है। 

स्कंद आश्रम, कंदकुर्ती, निजामाबाद (तेलंगाना)
निजामाबाद से 30 किलोमीटर दूर गोदावरी माजरा तथा हल्दीहोल नदी का पवित्र संगम है। संगम तट पर माता पार्वती का मंदिर है। इसे स्कंद मंदिर भी कहा जाता है। वनवास अवधि में श्री राम यहां आए थे। श्रीराम वनवास से संबंधित सिंदूर गांव के जमींदार की कथा यहां प्रचलित है। यह तीर्थ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आद्य सरसंघ चालक डा. केशव राव बलिराम हेडगेवार का पूर्व गांंव है। 

रामसैया, चित्रकूट
वनवास काल में चित्रकूट में श्री सीता-राम जी अनेक स्थलों पर लीला करते थे तथा प्रकृति का आनन्द लेते हुए निकटवर्ती क्षेत्रों में विहार करते थे। इसी क्रम में कभी-कभी यहां रात्रि विश्राम के लिए भी रुकते थे। आज भी शिला पर श्री सीता-राम जी के विश्राम के चिन्ह हैं। दोनों के बीच धनुष रखने का चिन्ह बना है। (ग्रंथ उल्लेख : वा.रा. 2/116/1 से 26, मानस 2/134 दोहा, 2/307/2, 2/311/3, 2/312 दोहा) —डा. राम अवतार

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