Syamantaka Mani & Ganesh Chaturthi Story: जब भगवान श्रीकृष्ण पर लगा कंलक...

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 15 Sep, 2023 08:34 AM

story of syamantak mani

सत्राजित नामक यादव भगवान सूर्य का परम भक्त था। भगवान सूर्य ने प्रसन्न होकर उसे स्यमन्तक मणि प्रदान की थी। वह मणि प्रतिदिन आठ भार सोना दिया करती थी और वह जहां रहती वहां दुर्भिक्ष,

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Syamantaka Mani & Ganesh Chaturthi Story: सत्राजित नामक यादव भगवान सूर्य का परम भक्त था। भगवान सूर्य ने प्रसन्न होकर उसे स्यमन्तक मणि प्रदान की थी। वह मणि प्रतिदिन आठ भार सोना दिया करती थी और वह जहां रहती वहां दुर्भिक्ष, महामारी, ग्रहपीड़ा आदि प्रवेश भी नहीं कर सकते थे। कभी कोई उपद्रव और अशुभ नहीं होता था।

PunjabKesari Syamantak Mani

एक बार भगवान श्रीकृष्ण ने प्रसंगवश कहा, ‘‘सत्राजित्! तुम अपनी मणि राजा उग्रसेन को दे दो।  इससे यह बहुमूल्य वस्तु सुरक्षित हो जाएगी और तुम्हें यश भी मिलेगा।’’ 

परन्तु सत्राजित् अहंकारी तथा धनलोलुप था। उसने भगवान श्री कृष्ण का प्रस्ताव ठुकरा दिया। एक दिन सत्राजित् का भाई प्रसेनजित, उस मणि को अपने गले में धारण कर शिकार खेलने के लिए वन में गया। वहां एक सिंह ने प्रसेनजित को मार डाला और मणि को छीन लिया। उसके बाद ऋक्षराज जाम्बवान ने सिंह को मारकर वह मणि अपनी गुफा में ले जाकर बच्चों को खेलने के लिए दे दी।

अपने भाई प्रसेनजित के न लौटने पर सत्राजित को बड़ा दुख हुआ। वह कहने लगा, ‘‘बहुत संभव है कि श्रीकृष्ण ने ही मणि के लोभ में मेरे भाई को मार डाला हो क्योंकि वह मणि पहनकर वन में शिकार खेलने गया था।’’

PunjabKesari Syamantak Mani

जब श्रीकृष्ण ने सुना कि सत्राजित् मुझे ही कलंक लगा रहा है तब वह उसे धो डालने के उद्देश्य से प्रसेनजित को ढूंढने नगर के कुछ गण्यमान्य नागरिकों को लेकर वन में गए। खोजते-खोजते उन्होंने देखा कि जंगल में किसी सिंह ने प्रसेनजित और उसके घोड़े को मार डाला है। जब सिंह के पैरों के निशान देखते हुए वे लोग आगे बढ़े तो देखा कि एक रीछ ने सिंह को भी मार डाला है। रीछ के पदचिन्हों के निशान देखते हुए सब गुफा तक पहुंचे।

भगवान् श्रीकृष्ण ने सब लोगों को बाहर ही बिठा दिया और अकेले ही घोर अंधकार से भरी हुई ऋक्षराज जाम्बवान की भयंकर गुफा में प्रवेश किया। वहां उन्होंने देखा कि श्रेष्ठ स्यमन्तक मणि को बच्चों का खिलौना बना दिया है।

PunjabKesari Syamantak Mani

भगवान श्रीकृष्ण जैसे ही मणि लेने के लिए आगे बढ़े, अचानक क्रोधित होकर जाम्बवान सामने आ गए। उस समय उन्हें भगवान की महिमा और प्रभाव का ज्ञान नहीं था इसलिए वे भगवान श्रीकृष्ण से घमासान युद्ध करने लगे। भगवान के घूंसों की चोट से जाम्बवान के शरीर की एक-एक गांठ फूट गई। पूरे अट्इठास दिनों तक युद्ध चलता रहा। जाम्बवान् का शरीर पसीने से लथपथ हो गया। उत्साह जाता रहा। अंत में उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को पहचान लिया और कहा, ‘‘प्रभो! मैं जान गया कि आप ही पुराण पुरुष भगवान विष्णु हैं। मुझे पराजित करने की क्षमता किसी साधारण मनुष्य में नहीं हो सकती। आप विश्व के रचयिता ब्रह्मा आदि को भी बनाने वाले हैं। अज्ञानवश हुए मेरे अपराध को आप क्षमा करें।’’

PunjabKesari Syamantak Mani

भगवान श्रीकृष्ण ने कहा, ‘‘ऋक्षराज! हम मणि के लिए ही तुम्हारी इस गुफा में आए हैं। इस मणि के द्वारा मैं अपने पर लगे झूठे कलंक को मिटाना चाहता हूं।’’

भगवान के ऐसा कहने पर जाम्बवान ने बड़े आनंद से उनकी पूजा की तथा अपनी कन्या कुमारी जाम्बवती को मणि के साथ उनके चरणों में समर्पित कर दिया। भगवान श्रीकृष्ण अपनी नववधू जाम्बवती के साथ द्वारका लौट आए और मणि सत्राजित् को लौटा कर अपने ऊपर लगा कलंक मिटा दिया।

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!