Edited By Niyati Bhandari,Updated: 22 Jun, 2018 11:47 AM
शनिवार, 23 जून को गायत्री जयंती है। जिन जातको की कुंडली में शनि के अशुभ प्रभाव चल रहे हैं विशेष तौर पर साढ़ेसाती और ढैय्या, उसे दूर करने के लिए यह बहुत ही शुभ योग है। गायत्री मंत्र को सफलता देने वाला मंत्र माना गया है।
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शनिवार, 23 जून को गायत्री जयंती है। जिन जातको की कुंडली में शनि के अशुभ प्रभाव चल रहे हैं विशेष तौर पर साढ़ेसाती और ढैय्या, उसे दूर करने के लिए यह बहुत ही शुभ योग है। गायत्री मंत्र को सफलता देने वाला मंत्र माना गया है। गायत्री माता की उपासना से जो फल मिलता है, उसका शब्दों में वर्णन करना सम्भव नहीं है। गायत्री मंत्र 24 अक्षरों का होता है, उसे वास्तव में 24 वर्णीय मंत्र कहते हैं।
गायत्री मंत्र- 'ऊं भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्'
शनि गायत्री मंत्र- ऊं भगभवाय विद्महे, मृत्युरूपाय धीमहि, तन्नो सौरी: प्रचोदयात।।
इस दिन शनि गायत्री मंत्र का जाप करना भी शुभ फल देगा। इसकी रचना कुछ विद्वानों ने की है। इस विधि से करें जाप-
सुबह काले तिल डालकर स्नान करें। घर पर रुद्राक्ष की माला से शनि गायत्री मंत्र का अपनी सामर्थ्य के अनुसार जाप करें। अंत में सरसों के तेल से बने पकवानों का भोग लगाकर आरती करें। शाम को 5 बजे के बाद शनि मंदिर में जाएं, सुबह बने पकवानों को गरीबों में बांट दें। संभव हो तो अपनी शक्ति के अनुसार उन्हें दक्षिणा भी दें। शनि प्रतिमा के दर्शनों के बाद उन्हें तेल चढ़ाएं, दीपदान करें, नीले लाजवंती के फूलों की माला शनिदेव की प्रतिमा पर चढ़ाएं। 23 जून को यह प्रयोग करने से मिलेगी शनि कृपा।
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