Sun In Astrology: क्या आपकी कुंडली में सही जगह बैठा है सूर्य ? जानें कौन से भाव खोलते हैं सफलता के दरवाज़े

Edited By Updated: 07 Dec, 2025 10:26 AM

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Sun In Astrology: वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है, जो आत्मा, अहंकार, पिता, अधिकार, शक्ति, स्वास्थ्य और सरकारी मामलों का प्रतिनिधित्व करता है। कुंडली में इसकी स्थिति व्यक्ति के जीवन के इन पहलुओं को गहराई से प्रभावित करती...

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Sun In Astrology: वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है, जो आत्मा, अहंकार, पिता, अधिकार, शक्ति, स्वास्थ्य और सरकारी मामलों का प्रतिनिधित्व करता है। कुंडली में इसकी स्थिति व्यक्ति के जीवन के इन पहलुओं को गहराई से प्रभावित करती है। सूर्य कुछ विशेष भावों में सबसे शुभ और उत्कृष्ट फल देता है।

कुंडली में सूर्य के लिए सबसे शुभ भाव
वैदिक ज्योतिष में 3, 6, 10, और 11वें भाव में सूर्य को सामान्य तौर पर बहुत बलशाली और शुभ फल देने वाला माना जाता है, भले ही उसकी राशि कोई भी हो। इसके अलावा पहला भाव और 9वां भाव भी विशिष्ट क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्रदान करते हैं।

दशम भाव
यह सूर्य के लिए सबसे उत्कृष्ट स्थान माना जाता है, जिसे दिग्बली भी कहा जाता है। जातक को सरकारी क्षेत्र में उच्च पद, सत्ता या अधिकार प्राप्त होता है। वह एक सफल प्रशासक, नेता, या प्रतिष्ठित व्यवसायी बन सकता है। व्यक्ति को समाज में अपार यश, प्रतिष्ठा और सम्मान मिलता है। वह अपने कर्मों से ऊंचा स्थान प्राप्त करता है। पिता से अच्छा संबंध और सहयोग मिलता है और पिता भी प्रभावशाली होते हैं।

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एकादश भाव
यह भाव आय, लाभ, इच्छाओं की पूर्ति और बड़े भाई-बहनों का है। इस भाव में सूर्य धनवान और सुखी बनाता है। जातक को जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से लगातार आय और लाभ प्राप्त होता है। कम प्रयासों में भी सफलता मिल सकती है। सभी इच्छाओं और महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति होती है। बड़े भाई-बहनों और मित्रों का सहयोग मिलता है। जातक धनी, बलवान और समाज में प्रभावशाली होता है। सरकारी नौकरी या उच्च पद मिलने की संभावना प्रबल होती है।

प्रथम भाव
यह आत्म-अभिव्यक्ति, व्यक्तित्व, स्वास्थ्य और समग्र जीवन का भाव है। जातक तेजस्वी, आत्मविश्वासी, साहसी और एक प्रभावशाली व्यक्तित्व का स्वामी होता है। वह नेतृत्व क्षमता से भरपूर होता है और 'राजा' के समान गुण रखता है। सामान्य तौर पर उत्तम स्वास्थ्य और शारीरिक शक्ति प्रदान करता है। उच्च सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। लोग उसकी ओर आकर्षित होते हैं। यदि सूर्य यहां अत्यधिक बलवान हो, तो व्यक्ति में अहंकार या अत्यधिक क्रोध की प्रवृत्ति आ सकती है, जिस पर नियंत्रण आवश्यक है।

षष्ठ भाव 
छठा भाव रोग, शत्रु, ऋण और प्रतिस्पर्धा का होता है। सूर्य का यहां होना शुभ माना जाता है क्योंकि यह शत्रुओं का नाश करता है। जातक सभी विरोधियों और शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है। यह शत्रु हंता योग बनाता है। प्रतियोगिताओं, मुकदमों और ऋण संबंधी मामलों में सफलता मिलती है। सरकारी या सेवा क्षेत्र की नौकरियों में सफलता मिलती है। रोगों पर विजय प्राप्त होती है, हालांकि कुछ पित्त संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

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नवम भाव 
यह भाग्य, धर्म, उच्च शिक्षा, लंबी यात्राओं और पिता का भाव है। सूर्य की यह स्थिति प्रबल भाग्य का निर्माण करती है। व्यक्ति को जीवन में पिता और गुरुजनों का भरपूर सहयोग मिलता है। जातक धार्मिक, आध्यात्मिक रूप से सक्रिय और सत्यभाषी होता है। उच्च शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में उपलब्धि प्राप्त होती है। व्यक्ति को अपनी धार्मिक आस्था और ज्ञान के कारण प्रतिष्ठा मिलती है।

तृतीय भाव
यह पराक्रम, छोटे भाई-बहन, संचार और छोटी यात्राओं का भाव है। जातक शौर्यवान, साहसी और पराक्रमी होता है। वह हर काम में अपनी शक्ति और ऊर्जा का प्रदर्शन करता है। व्यक्ति की वाणी प्रभावशाली और ओजस्वी होती है। मीडिया, लेखन या सार्वजनिक बोलने के क्षेत्र में सफलता मिलती है। छोटे भाई-बहनों को सफलता मिलती है या जातक उन पर प्रभाव रखता है।

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