Edited By Niyati Bhandari,Updated: 12 Sep, 2023 08:59 AM
बिजली के बल्ब के सफल परीक्षण के बाद थॉमस अल्वा एडिसन ने एक दिन अपने चपरासी को ऑफिस में बुलाया। एडिसन ने उसे बल्ब टेस्ट करने के लिए दिया और कहा कि
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Thomas Edison Inspirational Story: बिजली के बल्ब के सफल परीक्षण के बाद थॉमस अल्वा एडिसन ने एक दिन अपने चपरासी को ऑफिस में बुलाया। एडिसन ने उसे बल्ब टेस्ट करने के लिए दिया और कहा कि टेस्ट करके बताओ कि कैसा लगा। जिस बल्ब को बनाने में एडिसन ने अथक परिश्रम किया था, उसकी टेस्टिंग में चपड़ासी को घबराहट हो रही थी। घबराहट के कारण बल्ब उसके हाथ से छूट गया और जमीन पर गिरकर टूट गया। चपरासी के पसीने छूट गए लेकिन एडिसन ने कोई नाराजगी नहीं दिखाई। दो दिन बाद एडिसन ने उसे फिर बुलाया। अपने सहायकों की उपस्थिति में दूसरा बल्ब टेस्टिंग के लिए दिया।
एक सहयोगी ने कहा, “इसे बल्ब न दें, एक बार इसके हाथ से गिरकर टूट चुका है। फिर टूट गया तो आपकी मेहनत व्यर्थ चली जाएगी।”
एडिसन ने कहा, “बल्ब तो दूसरी बार फिर बन जाएगा लेकिन आत्मविश्वास चला गया तो आजीवन वापस नहीं आएगा। आत्मविश्वास के अभाव में कौशल और क्षमता का उपयोग नहीं हो पाता है।”
एडिसन की इस बात पर जहां सहयोगी चुप रहे, वहीं चपरासी के मन से डर निकल गया। उसने सफलतापूर्वक बल्ब की टेस्टिंग की और बल्ब जलाने का अनुभव लेकर बहुत खुश हुआ।
हजार से अधिक खोजों का पेटेंट कराने वाले एडिसन ने आजीवन अपने सहयोगियों का आत्मविश्वास बनाए रखा। वह कभी नकारात्मक नहीं सोचते थे। विद्युत बल्ब की सफलता पर एक पत्रकार ने उनसे सवाल किया, “हजार बार फेल हो जाने के बाद मिली सफलता से आपको कैसा लग रहा है?”
जवाब में एडिसन ने कहा,“मैं हजार बार फेल नहीं हुआ बल्कि मैंने हजार बार में बल्ब बनाया है।”
पत्रकार ने एडिसन की कही बातों को अपने पाठकों के लिए इन शब्दों में लिखा, “कामयाबी एक प्रतिशत प्रेरणा और निन्यानबे प्रतिशत पसीना होती है।”