Kundli Tv- क्या है उत्पन्ना एकादशी, व्रत कथा के साथ जानें व्रत विधि

Edited By Jyoti,Updated: 02 Dec, 2018 03:23 PM

utpanna ekadashi

हिंदू पंचांग और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार साल में एक बार आने वाले उत्पन्ना एकादशी का पर्व इस 3 दिसंबर 2018 को पड़ रहा है।

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हिंदू पंचांग और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार साल में एक बार आने वाले उत्पन्ना एकादशी का पर्व इस 3 दिसंबर 2018 को पड़ रहा है। ज्योतिष में बताया गया है कि ये यह मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। प्रत्येक एकादशी की तरह इस एकादशी पर भी विष्णु जी का ही पूजन विशेष किया जाता है। ज्योतिष में कहा गया है कि इस दिन व्रत आजि करने से व्रती को आरोग्य, संतान प्राप्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही ये भी कहा जाता है कि चाहे व्यक्ति को कैसी भी मानसिक समस्या हो इस व्रत से दूर हो जाती है।
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व्रत कथा-
पद्मपुराण में श्रीकृष्ण व युधिष्ठिर संवाद अनुसार जब सत्ययुग में मुरदैत्य के हाथों हारे देवगणों ने हरि की शरण जाकर उनसे साहयता मांगी जिसपर श्रीहरि ने मुरदैत्य की सेना पर आक्रमण कर सैकड़ों दैत्यों का वध कर बदरिकाश्रम के सिंहावती गुफा में निद्रालीन हो गए। मुरदैत्य ने श्रीहरि के वध के लिए जैसे ही सिंहावती गुफा में प्रवेश किया वैसे ही श्रीहरि से उत्तपन्न दिव्य अस्त्र-शस्त्रों से लैस रूपवती कन्या ने अपनी हुंकार से मुरदैत्य को भस्म कर दिया। प्रसन्नचित हरि ने एकादशी नामक उस कन्या को मनोवांछित वरदान देकर अपनी प्रिय तिथि बनाया। इसी उत्पत्ति से इस एकादशी को उत्पन्ना कहते हैं। इस दिन श्रीहरी के विशेष पूजा से जीवन में वैभव आता है, अशांति से मुक्ति मिलती है। पारिवारिक कलह समाप्त होती है। यहां जानें क्या है उत्पन्ना व्रत रखने के नियम-
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सबसे पहले आपको बता दें कि यह व्रत दो प्रकार से रखा जा सकता है, निर्जल और फलाहारी या जलीय व्रत।

हिंदू धर्म के अनुसार निर्जल व्रत सामान्यत तौर पर स्वस्थ्य व्यक्ति को ही रखना चाहिए। 

अन्य लोगों को फलाहारी या जलीय ही उपवास रखना चाहिए।

ज्योतिष के अनुसार व्रत से एक दिन पहले रात यानि दशमी को रात में भोजन नहीं करना चाहिए।

इस दिन विष्णु भगवान की तो पूजा होती ही है लेकिन कुछ मान्यताओं के अनुसार इस एकादशी के दिन को प्रातः श्री कृष्ण की पूजा करना भी बहुत अच्छा माना जाता है। 
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बता दें कि इस व्रत में भगवान विष्णु को सिर्फ फलों का ही भोग लगाया जाता है। क्योंकि इस दिन भगवान को फलों का भोग ही लगाया जाता है इसलिए कहा जाता है कि इस दिन व्यक्ति को भी केवल जल और फल का ही सेवन करना चाहिेए।

उत्पन्ना एकादशी के दिन न करें ये काम
इस बात का ध्यान रखें कि बिना भगवान विष्णु को अर्घ्य दिए दिन की शुरुआत न करें, अर्घ्य केवल हल्दी मिले हुए जल से ही दें। इसमें रोली या दूध का बिल्कुल इस्तेमाल न करें।

अगर स्वास्थ्य ठीक न हो तो व्रत न रखें, क्योंकि एेसे व्रत रखने से फल नहीं मिलता। इसलिए कोशिश करें कि व्रत न रखकर केवल प्रक्रियाओं का पालन करें।

संतान की कामना के लिए सुबह पति-पत्नी एक साथ श्री कृष्ण की उपासना ज़रूर करें। पीले फल, पीले फूल, तुलसी दल और पंचामृत चढ़ाएं।

इसके बाद संतान गोपाल मंत्र का जाप ज़रूर करें।
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मंत्र
"ॐ क्लीं देवकी सुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते
 देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणम गता "


अाखिर में पति-पत्नी एक साथ फल और पंचामृत ग्रहण करें।
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