Kundli Tv- वरुण धवन का सूर्य अभिनय में दिलाएगा यश और कीर्ति

Edited By Jyoti,Updated: 24 Jun, 2018 11:43 AM

varun dhawan s sun will star in acting yash and kirti

फिल्म अभिनेता वरुण धवन का जन्म 24 अप्रैल, 1987 को भाग्य ग्रह गुरु की महादशा में हुआ है। गुरु भाग्य और रोग दो स्थानों का अधिपति हैं जिसके अनुसार जहां स्वयं वरुण अपना भाग्य निर्माण कर रहा है

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फिल्म अभिनेता वरुण धवन का जन्म 24 अप्रैल, 1987 को भाग्य ग्रह गुरु की महादशा में हुआ है। गुरु भाग्य और रोग दो स्थानों का अधिपति हैं जिसके अनुसार जहां स्वयं वरुण अपना भाग्य निर्माण कर रहा है, वहीं परिवार के अंदर बड़े बुजुर्गों की सेहत को भी प्रभावित करने का योग बना है।

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कर्क लग्र के स्वामी चन्द्रमा के प्रभाव से जीवन के अंदर आने वाले बदलाव के साथ-साथ अपने आपको भी बदलने में कोई कठिनाई नहीं आएगी। जल प्रतीक होने के कारण किसी भी, कैसी भी परिस्थितियों के अंतराल से इसे गुजरना पड़े, तो शीघ्र परिस्थितियों से समझौता कर परिस्थितियों के अनुसार बदल जाने का गुण वरुण में जन्मजात है। चन्द्रमा वरुण के शरीर का स्वामी है जिसके कारण चंचल प्रवृत्ति, बातूनी, भावुक और कलात्मक योग्यता लिए हुए वरुण धवन कल्पनाआें के द्वारा अज्ञात दृश्यों को भी देखता है। वरुण धवन अधिक समय तक क्रोध में अपने आपको नहीं रख पाता इसलिए किसी से, कैसी भी गलती हो, उसको शीघ्र माफ करने की आदत के कारण, आगे चलकर वरुण को यश की प्राप्ति होगी। चंद्रमा का अष्टम भाव में होना कर्क लग्र के लिए उचित नहीं है इसलिए स्वयं किसी भी फिल्म को साइन करने अथवा कोई भी व्यवसाय शुरू करने से पूर्व पिता या पितातुल्य व्यक्तियों से परामर्श करने के पश्चात ही इस बारे में फैसला ले। अन्यथा हानि का पूर्ण योग है क्योंकि जन्म कुंडली में ‘लग्रभंग योग’ बना हुआ है। जब-जब चन्द्रमा की दशा और अंतर्दशा आएगी तब-तब अत्यंत परिश्रम कराएगी।  

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कर्क लग्र में वरुण का सूर्य, जो पिता का कारक है स्वयं केन्द्रस्थ होकर उच्च है, अति विशिष्ट और दुर्लभ योग बन रहा है पिता से पूर्ण सहयोग प्राप्त होते हुए कला, अभिनय के क्षेत्र में जोडऩे का कार्य पिता द्वारा किया गया। पिता के साथ मधुर संबंध बनेगा और पिता की स्थायी सम्पत्ति मिलेगी किन्तु पैतृक सम्पत्ति में विवाद की संभावना का भी योग है और साथ में मंगल की दृष्टि द्वितीय भाव पर होने से दाईं आंख को कमजोर कर देगा, वहीं कभी-कभी कठोर वाणी का प्रयोग होगा जिसके प्रभाव से कुटुम्बीजन अंतर्विरोधी हो जाएंगे हालांकि भाइयों के साथ संबंध ठीक रहेंगे। मंगल की सप्तमी दृष्टि पंचम भाव पर पूर्ण रूप से पड़ रही है अर्थात प्रथम पुत्र का सुख प्राप्त होगा। दशम स्थान में उच्च का सूर्य होने से पिता के नाम का पूर्ण सुख मिलेगा जिसके द्वारा यश और प्रसिद्धि प्राप्त होगी। सूर्य की दशा शुभ फलदायक है। 

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वरुण धवन अभिनय के साथ-साथ संगीत कला में भी रूचि लेगा और नृत्य के द्वारा जन-समुदाय का भी मनमोह लेगा परंतु नृत्य और कला के दौरान सांस की तकलीफ हो सकती है। शरीर बल में स्फूर्ति का संचार  कम हो जाएगा इसलिए प्रतिदिन कसरत करने के साथ-साथ योग और ध्यान को भी जीवन में उतारना होगा, ताकि सफलता के चरमसुख को भोगा जा सके। -ज्योतिर्विद बॉक्सर देव गोस्वामी

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