Edited By Niyati Bhandari,Updated: 26 Oct, 2022 10:06 AM
वास्तुशास्त्र की पुस्तकों में इस बात का जिक्र किया जाता है कि यदि किसी भूखण्ड की नींव खुदाई के दौरान मिट्टी में हड्डियां व कोयला मिले तो वह भूखण्ड बहुत अशुभ होता है। ऐसे प्लॉट पर भवन
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Vastu rules For digging foundation: वास्तुशास्त्र की पुस्तकों में इस बात का जिक्र किया जाता है कि यदि किसी भूखण्ड की नींव खुदाई के दौरान मिट्टी में हड्डियां व कोयला मिले तो वह भूखण्ड बहुत अशुभ होता है। ऐसे प्लॉट पर भवन का निर्माण करने से अनेक प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ‘‘यह केवल अंधविश्वास है।’’ पृथ्वी का अस्तित्व करोड़ां वर्षों से है, जिसमें कई बार भूकंप के कारण बहुत सारे उलट-फेर होते रहते हैं। जहां आज हिमालय पर्वत है, वहां कभी सागर हुआ करता था। कई कब्रिस्तान भी इस उलट-फेर के शिकार हुए हैं। सृष्टि के आरम्भ से ही प्राणियों के जन्म-मृत्यु का सिलसिला जारी है। आपसी लड़ाइयों में भी लोग मारे जाते रहे हैं। शायद ही पृथ्वी पर कोई ऐसी जगह होगी, जहां मार-काट नहीं हुई हो, युद्ध न हुए हों। इसी प्रकार पशु-पक्षी भी मरते रहते हैं। समय-समय पर मानव व पशु-पक्षियों पर प्राकृतिक आपदाएं भी आती रही हैं। इसका मतलब तो यह हुआ कि पृथ्वी पर कोई भी ऐसी जगह न होगी, जहां गहराई में हड्डियां, कोयला इत्यादि मौजूद न हो।
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द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान नागासाकी और हिरोशिमा पर एटम बम गिराए गए। जहां लाखों लोग मारे गए, हर चीज राख के ढेर में बदल गई। यदि आज वहां खोदा जाए तो काफी गहराई तक हड्डियां व कोयला मिलेगा पर जापान के बर्बाद हुए वही शहर आज जन्नत में बदल गए हैं। वहां बाग-बगीचे व भव्य गगनचुम्बी इमारतें हैं, जहां सभी लोग पुनः खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
भारत व विश्व की कईं कोयला खदानों के ऊपर कई शहर बसे हुए हैं जैसे धनबाद, छिंदवाड़ा, परासिया, सिंगरेनी इत्यादि। इन कोयला खदानों के ऊपर रहने वाले लोग भी अन्य शहरों में रहने वाले लोगों जैसा ही जीवन-बसर कर रहे हैं। बढ़ती हुई आबादी के कारण विश्व के कई बड़े शहरों में श्मशान घाट या कब्रिस्तान छोटे हो गए हैं जैसे मुम्बई का सांताक्रुज श्मशान घाट। आज वहां सुंदर भवन बन गए हैं, जहां लोग सुखद जिंदगी जी रहे हैं।
कई सफल व्यावसायिक संस्थान, जहां संस्थान के अंदर ही कब्र बनी हुई है, जिसकी आदर भाव से धूपबत्ती की जाती है और वह संस्थान ‘‘दिन दूनी रात चौगुनी’’ तरक्की कर रहे हैं।
भारतीय धर्मग्रन्थों के अनुसार हर जीव में आत्मा होती है और मृत्यु के बाद हर जीव अपना चोला बदलकर दूसरी योनि में जन्म लेता है। ऐसी स्थिति में आप सोचिए जब हम अपने घरों में पेस्ट कन्ट्रोल कराते हैं, चूहे मारने की दवाईयां रखते हैं तो क्या उस वक्त हर घर एक श्मशान नहीं बन जाता ? कई परिवारों में नानवेज खाया जाता है, कई घरों में तो जानवरों को घर में ही काटा जाता है, इनमें से भी तो हड्डियां निकलती हैं।
हड्डियों व कोयलों वाले भूखण्ड पर घर बनाने से कुछ नहीं होता। सुखद जीवन के लिए बस एक अच्छे वास्तु अनुरूप भूखण्ड का चुनाव करना चाहिए। भूखण्ड की अच्छी तरह साफ-सफाई कर वास्तु अनुरूप भवन बनाना ही महत्वपूर्ण है, बाकी सभी बातें निरर्थक हैं।
वास्तु गुरू कुलदीप सलूजा
thenebula2001@gmail.com