वास्तु के अनुसार कौन सी दिशा मानी जाती है सबसे शुभ व लाभदायक, जानें यहां

Edited By Jyoti,Updated: 08 Apr, 2021 01:55 PM

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जैसे कि सब आप वास्तु शास्त्र में दिशाओं का अधिक महत्व है। इसीलिए कहा जाता है कि प्रत्येक व्यक्ति को कोई भी कार्य करने से पहले इन दिशाओं को ध्यान में ज़रूर रखना चाहिए।

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जैसे कि सब आप वास्तु शास्त्र में दिशाओं का अधिक महत्व है। इसीलिए कहा जाता है कि प्रत्येक व्यक्ति को कोई भी कार्य करने से पहले इन दिशाओं को ध्यान में ज़रूर रखना चाहिए। ऐसे में बहुत से लोग वास्तु की इस बात का खास ध्यान रखते हैं। मगर कुछ लोगों के दिमाग में एक सवाल आज भी सवाल ही बना हुआ है। वो प्रश्न ये है कि वास्तु शास्त्र में बताई गई तमाम दिशाओं में सबसे अधिक शुभ और लाभदायक कौन सी दिशा होती है। तो चलिए आज हम आपको इस प्रश्न का उत्तर देते हैं। जी हां, इस आर्टिकल में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि वास्तु शास्त्र में सबसे अच्छी दिशा कौन सी होती हैै।

वास्तु शास्त्री बताते हैं कि मकान चाहे ये पूर्व, आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, पश्चिम, वायव्य, उत्तर या ईशान दिशा में हो, प्रत्येक दिशा वहां रहने वाले लोगों की दशा बदल देती है। तो इन तमाम दिशाओं में सबसे अधिक शुभ कौन सी होती है, आइए जानते हैं- 

वास्तु विशेषज्ञों का मानना है कि जिस दिशा से सूर्योदय होता है, उसे पूर्व दिशा कहा जाता है। बहुत से लोगों को घर पूर्वमुखी होती है, मगर क्या ये घर सुख-संपन्नता से भरपूर होता हैं? तो आपको बता दें कि पूर्वदिशा में होने वाले मकान का अपना फायदा होता है। ऐसे घर में सूर्य की ताजी किरणों का आगमन नियमित रूप से होता है। 12 बजे के बाद धूप आग्नेय कोण से होते दक्षिणा में चली जाती है। कहा जाता है 11 बजे के पहले ही धूप में विटामिन डी सही स्थिति में रहता है। जिससे इस में घर रहने वालों का लाभ प्राप्त होता है। 

कहा जाता है प्रत्येक व्यक्ति के लिए ये जानना आवश्यक होता है उत्तर दिशा सकारात्मक ऊर्जा और ठंजी हवा का स्रोत होता है, जबकि दक्षिण दिशा नकारात्मक ऊर्जा और गर्म हवाओं का स्रोत है। इसलिए इस बात का निर्णय बहुत सोच समझकर करना चाहिए कि घर का द्वार-खिड़की किस दिशा में होना चाहिए। 

इसके अलावा मकान के वायव्य, उत्तर, ईशान और पूर्व का भाग सकारात्मक ऊर्जा देने वाला माना जाता है, जबकि आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य और पश्‍चिम भाग नकारात्मक ऊर्जा देने वाला होता है। मगर कुछ लोग पश्‍चिम दिशा को सही मान लेते हैं, मगर इसके बारे में वास्तु विशेषज्ञ से सलाह लेने के बाद ही इसके निर्माण का फैसला लेना चाहिए। 


 

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