Edited By Jyoti,Updated: 14 Oct, 2021 05:30 PM
वास्तु शास्त्र में लगभग हर चीज़ के बारे में वर्णन किया गया है बल्कि कहा जाता है सनातन धर्म की पूजा आदि में उपयोग की जाने वाली लगभग हर वस्तु के बारे में भी उल्लेख मिलता है। चूंकि त्यौहारों व व्रत
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
वास्तु शास्त्र में लगभग हर चीज़ के बारे में वर्णन किया गया है बल्कि कहा जाता है सनातन धर्म की पूजा आदि में उपयोग की जाने वाली लगभग हर वस्तु के बारे में भी उल्लेख मिलता है। चूंकि त्यौहारों व व्रत आदि का समय चल रहा है तो इसलिए पूजा आदि की सही विधि व इसमें उपयोग होनी वाली सामग्री के बारे में जानकारी का होना बेहद जरूरी होता है। तो आइए जानते हैं वास्तु शास्त्र में बताई गई ऐसी कुछ चीज़ों के बारे में तथा उनका इस्तेमाल कहां व कैसे करना चाहिए के बारे में-
*घर के दरवाजे पर तोरण लगाने और घर पर ध्वजा यानि झंडा लगाने से वास्तु दोष नष्ट हो जाते हैं और घर पॉजिटिव से भर जाता है। घर के मुख्य द्वार पर न्यग्रोध या आम के पत्तों का तोरण लगा कर- महेंद्र, ब्राह्मी, दिगंबर कुमार तथा असितांग भैरव को स्मरण करना चाहिए। इसके बाद अग्नि कोण यानि साऊथ ईस्ट कॉरनर में पांच हाथ ऊंची डंडे में लाल ध्वजा लगा कर सोम, दिगंबर कुमार और रुरु भैरव का ध्यान करना चाहिए। इससे साल भर वास्तु दुरुस्त रहता है।
*कलश की स्थापना पूजा घर के ईशान कोण में करनी चाहिए। पूजा घर के ईशान कोण में एक जगह साफ़ करके वहां मिट्टी बिछानी चाहिये, उसके ऊपर जौ बिछाने चाहिए। उस पर एक साफ़ शुद्ध कलश रखना चाहिए। कलश के मुंह पर एक नारियल लाल कपड़े में लपेट कर रखना चाहिए और कलश में वरुण देव का आवाहन करके कलश का पूजन करना चाहिए।
*दीपक जलाने से जुड़े वास्तु शास्त्र की मानें तो दीपक या तो घी का होना चाहिए या तिल के तेल का। घी का दीपक देवता के दाहिने हाथ यानि अपने बाएं हाथ की तरफ रखना चाहिए और तिल के तेल का दीपक देवता के बाएं हाथ यानि आपके दाहिने हाथ की ओर होना चाहिए। घी के दीपक में सफ़ेद खड़ी बत्ती लगानी चाहिए जबकि तिल के तेल में लाल और पड़ी बत्ती लगानी चाहिए। घी का दीपक देवता के लिए समर्पित होता है, जबकि तिल के तेल का दीपक आपकी कामनाओं की पूर्ति के लिए होता है। आप आवश्यकतानुसार एक या दोनों दीपक जला सकते के वास्तु का अग्नि तत्व मजबूत होता है।
*देवता या देवियां एक ख़ास किस्म के एनर्जी पैटर्न हैं और फूल सुगंध और रंग का मिला-जुला रूप और इनका सीधा सम्बन्ध घर के वास्तु शास्त्र से है। इसी सत्य को पहचान कर भारतीय मनीषियों ने तंत्र सार, मन्त्र महोदधि और लघु हारीत में लिखा है कि, सफ़ेद और पीले फूल विष्णु को प्रिय हैं, लाल फूल, सूर्य, गणेश और भैरव को प्रिय हैं, भगवान शंकर को सफ़ेद पुष्प पसंद है लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि किस एनर्जी पैटर्न को कौन सा रंग या गंध फेवरेबल नहीं है तो नोट करिये भगवान विष्णु को अक्षत यानि चावल, मदार, और धतूरे के फूल नहीं चढ़ाने चाहिए। माता को दूब, मदार, हरसिंगार, बेल एवं तगर नहीं चढ़ाना चाहिए। चंपा और कमल को छोड़ कर किसी पुष्प कि कली नहीं चढ़ानी चाहिए, कटसरैया नागचम्पा, और बृहती के पुष्प वर्जित माने गए हैं। इन बातों का ध्यान करके आप अनायास वास्तु दोष से बच सकते हैं।
*अब बताते हैं कि वास्तु पूजा में शंख की स्थापना की पूजा करते समय अपने दाहिने हाथ की ओर शंख की स्थापना करनी चाहिए। पहले शंख को धोना चाहिए। धोते समय मन्त्र पढ़ना चाहिए ' ॐ सुदर्शनास्त्राय फटू ' फिर शंख को आधार पर इस प्रकार रखना चाहिए कि उसका खुला भाग ऊपर की तरफ रहे और चोंच आपकी ओर रहे। स्थान देने के बाद शंख पर प्रणव मन्त्र यानि ‘ॐ’ कहते हुये चन्दन लगाना चाहिए। इस प्रकार पूजा में रखा हुआ शंख घर में सुख और सौभाग्य लाता है।