वास्तु गुरू कुलदीप सलूजा: वास्तु से जानें आखिर क्यों युवा छात्र-छात्राएं कर रहे हैं सुसाइड

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 15 Feb, 2024 07:56 AM

vastu tips for hostel and pg

आजकल युवा छात्रों द्वारा सुसाइड करने की खबरें आये दिन मीडिया में पढ़ने या सुनने को मिलती रहती हैं। ऐसी दुखद खबरें पूरे देश से ही आती रहती हैं किन्तु ज्यादातर खबरें कोटा शहर से आती हैं। कोटा, इंजीनियरिंग और

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Vastu Tips For Hostel and pg: आजकल युवा छात्रों द्वारा सुसाइड करने की खबरें आये दिन मीडिया में पढ़ने या सुनने को मिलती रहती हैं। ऐसी दुखद खबरें पूरे देश से ही आती रहती हैं किन्तु ज्यादातर खबरें कोटा शहर से आती हैं। कोटा, इंजीनियरिंग और मेडिकल एंट्रेस टेस्ट की तैयारी कर रहे हर छात्र का ड्रीम डेस्टिनेशन है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक छात्रों और उनके माता-पिता को विश्वास है कि अगर बच्चा कोटा कोचिंग पहुंच गया तो सफलता निश्चित है। यही कारण है कि माता-पिता अपने जीवन की सारी कमाई बच्चों के कोटा कोचिंग पर लगा देते हैं। कोचिंग के लिए लाखों की संख्या में बच्चे हॉस्टल व पी.जी में रहते हैं।

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आखिर क्या कारण है कि छात्र इतने निराश और हताश हो जाते हैं कि उन्हें दुनिया के सारे रास्ते बंद नजर आने लगते हैं और वह सुसाइड जैसे कदम उठा रहे हैं।

साइकोलॉजिस्ट, कॅरियर कोच तथा काउंसलिंग वाले कोटा ही नहीं बल्कि देश भर में छात्रों में बढ़ रही सुसाइड की घटनाओं का बड़ा कारण कोचिंग संस्थानों में गला-काट प्रतिस्पर्धा में कॉम्प्टीशन का प्रेशर और कच्ची उम्र में पेरेंट्स की बच्चों से अत्यधिक उम्मीदें बता रहे हैं। इसी के साथ प्रेम-प्रसंग में मिली असफलता और ब्रेक-अप्स भी युवाओं को ज्यादा हताश कर देते हैं और कमजोर मानसिकता के चलते वह सुसाइड जैसा कदम उठा लेते हैं।

आइये! वास्तु की दृष्टि से समझने की कोशिश करते हैं कि ऐसे कौन से होस्टल या पी.जी होते हैं जहां कोई छात्र ऐसे भयावह कदम को उठाने पर मजबूर हो जाता है ? निश्चित रूप से भाग्य और अन्य कारणों के साथ-साथ होस्टल या पीजी के वास्तुदोष भी छात्र सुसाइड में अहम भूमिका निभाते हैं।

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छात्र सुसाइड के लिए महत्वपूर्ण कारण उनकी पढ़ाई से संबंधित है, जिसमें वह अपना सब्जेक्ट सही ढंग से समझ नहीं पाते, बार-बार पढ़ने के बाद भी उन्हें पढ़ा हुआ याद नहीं रहता और धीरे-धीरे वह पढ़ाई में पिछड़ते जाते हैं, इस कारण वह बहुत तनाव और निराशा में आ जाते हैं। उनकी इस निराशा और तनाव की आग में घी का काम करता है उस होस्टल के कमरे या पी.जी का वास्तु, जहां छात्र रहता है।

होता यूं है कि जो छात्र दक्षिण या पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके पढ़ाई करते हैं, उन्हें अपना सब्जेक्ट जल्दी समझ नहीं आता। बार-बार पढ़ने के बाद भी उन्हें पढ़ा हुआ याद नहीं रहता। इस कारण छात्र तनाव में आ जाते हैं। इसके विपरीत जो छात्र पूर्व दिशा की ओर मुंह करके पढ़ाई करते हैं, उन्हें अपना सब्जेक्ट बड़ी जल्दी समझ में आ जाता है। इस कारण उन्हें पढ़ा हुआ याद भी रहता है। वह छात्र पढ़ाई में कम समय देने के बाद भी अच्छे नंबरों से पास हो जाते हैं। उत्तर दिशा की ओर मुंह करके पढ़ना भी ठीक रहता है।

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स्टडी टेबल भी इस प्रकार रखी जानी चाहिए कि पढ़ते समय छात्र का मुंह पूर्व दिशा की ओर हो, यदि पूर्व दिशा में न हो सके तो उत्तर दिशा की ओर मुंह करके पढ़ाई करें। कई छात्र अपने बेड पर भी पढ़ाई करते हैं इसलिए रूम में बेड भी इस प्रकार लगा होना चाहिए कि छात्रों का मुंह पढ़ाई करते समय पूर्व दिशा की ओर हो नहीं तो उत्तर दिशा की ओर हो। कोचिंग सेंटर वालों को भी चाहिए कि क्लास में छात्रों के बैठने का अरेंजमेंट इस प्रकार करे कि पढ़ते समय छात्रों का मुंह पूर्व दिशा की ओर ही रहे ताकि उन्हें जो पढ़ाया जा रहा है वह उन्हें जल्दी समझ में आ सके।

छात्र-छात्राओं को तनाव चाहे पढ़ाई का हो या युवा अवस्था में प्रेम-प्रसंग में मिली असफलता का हो, वास्तुशास्त्र में उन वास्तुदोषों की जानकारी दी गई है, जहां सुसाइड जैसी घटना होती है। जिस होस्टल या पी.जी में रहने वाले छात्र तनावग्रस्त होकर सुसाइड करते हैं, वह इस प्रकार होते हैं-

ऐसे होस्टल या पी.जी में निश्चित रुप से दो या दो से अधिक वास्तुदोष होते हैं। पहला दोष, नैऋत्य कोण SW में होता है, जैसे नैऋत्य कोण SW में भूमिगत पानी की टंकी, कुआं, बोरवेल या किसी भी प्रकार से फर्श नीचा हो, या दक्षिण नैऋत्य SSW या पश्चिम नैऋत्य WSW बढ़ जाए या दक्षिण नैऋत्य या पश्चिम नैऋत्य पर मार्ग प्रहार हो। यदि उस होस्टल या पी.जी के पश्चिम नैऋत्य में मुख्यद्वार हो तो वहां रहने वाले किसी छात्र के साथ और यदि मुख्य द्वार दक्षिण नैऋत्य कोण में हो तो वहां रहने वाली किसी छात्रा के साथ सुसाइड की सम्भावना बढ़ जाती है। दूसरा वास्तुदोष होता है ईशान कोण NE में, ईशान कोण की दीवार अन्दर दब जाए या वहां किसी प्रकार का कट या गोलाई आ जाये, या ईशान कोण ऊंचा हो जाये या किसी कारण आग्नेय कोण की दीवार आगे बढ़ जाए। बिल्डिंग का आग्नेय कोण नैऋत्य कोण से ऊंचा और ईशान कोण की तुलना में नीचा हो जाए। यदि उत्तर वायव्य NNW, नैऋत्य कोण से ऊंचा और ईशान कोण की तुलना में नीचा हो जाए। यदि उत्तर वायव्य NNW ढंक जाए तो होस्टल की किसी छात्रा के साथ और यदि पश्चिम वायव्य WNW ढक जाए तो किसी छात्र के सुसाइड की संभावना बनती है। इसी प्रकार यदि घर की पूर्व दिशा में केवल आग्नेय कोण SE निर्माण के कारण ढक दिया गया हो, इत्यादि ऐसे दोष होते हैं, इन्हीं किसी दोष के कारण सुसाइड जैसी घटना होती है।

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इसी के साथ छात्रों के रूम का दरवाजा पूर्व में हो तो पूर्व ईशान ENE में, दक्षिण में हो तो दक्षिण आग्नेय, पश्चिम में हो तो पश्चिम वायव्य WNW और उत्तर में हो तो उत्तर ईशान NNE में होना चाहिए। माता-पिता को चाहिए कि छात्रों के लिए होस्टल या पी.जी में रूम लेते समय यह ध्यान रखें, उसमें उपरोक्त वास्तुदोष तो नहीं है।

साइकोलॉजिस्ट, करियर कोच तथा काउंसलिंग वाले छात्रों को तनाव कम करने के लिए कई तरह की सलाह देते हैं, जैसे एग्जाम के पहले क्या-क्या तैयारियां करनी है, सब्जेक्ट को समझने और याद करने के लिए कई तरीके और उपाय बताते हैं। निश्चित ही इन बातों के महत्व को भी इंकार नहीं किया जा सकता लेकिन वास्तु से संबंधित जो जानकारी दी गई हैं वह ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। जैसे 1 अंक के आगे एक शून्य लगाने से 10 हो जाता है दो शून्य लगाने से 100 हो जाता है, यदि 1 अंक ही न हो तो चाहे कितने ही 0 लग जाये सब शून्य ही है। यहां वास्तु का महत्व 1 की तरह है।

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