Oh! भगवान और परमात्मा में है ये संबंध

Edited By Jyoti,Updated: 17 Aug, 2019 04:03 PM

which is more powerful violence or non violence

सम्राट अशोक के बारे में कौन नहीं जानता? अहिंसा का मार्ग अपनाने से पहले कितनी हिंसा के दौर से गुजरना पड़ा उनको। हिंसा तो सभी को कष्ट ही देती है। हिंसा के विपरीत होती है अहिंसा। चूंकि दोनों एक साथ ही उपजते हैं।

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सम्राट अशोक के बारे में कौन नहीं जानता? अहिंसा का मार्ग अपनाने से पहले कितनी हिंसा के दौर से गुजरना पड़ा उनको। हिंसा तो सभी को कष्ट ही देती है। हिंसा के विपरीत होती है अहिंसा। चूंकि दोनों एक साथ ही उपजते हैं। अत: अहिंसा जीव को वह नहीं दे सकती जो वह चाहता है। जीव हमेशा के लिए शांति चाहता है। विश्व भर के देश समुदाय इसी चेष्टा में लगे हैं कि स्थायी रूप से शांति स्थापित हो जाए।
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हिंसा और अहिंसा के मध्य सभी को अहिंसा ही ज्यादा पसंद आएगी। वैसे भी अहिंसा को ज्यादा शक्तिशाली माना जाता है। जैसे कलम तलवार से अधिक बलवान होती है उसी प्रकार अहिंसा हिंसा से अधिक शक्तिशाली मानी जाती है किन्तु हिंसा- अहिंसा की तुलना में प्रेम अधिक शक्तिशाली होता है। हिंसा के न होने को अहिंसा कहते हैं। अहिंसा से दूसरों को केवल नुक्सान से अथवा अनिष्ट से बचाया जाता है। प्रेम दूसरे का अनिष्ट रोकने के साथ-साथ दूसरों का भला करने, सुख प्रदान करने इत्यादि का कार्य भी करवाता है।
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वैसे दुनिया में थोड़ी हिंसा को भी अहिंसा कहा जाता है। कारण यह है कि साक्षात रूप से हिंसा कार्य से निवृत्त हो जाने पर भी दूसरों का अनिष्ट किए बगैर कोई प्राणी जीवित नहीं रह सकता। जैसे भोजन करने के लिए हमें अन्य प्राणियों का वध करना पड़ता है। पशु हो अथवा पौधे, दोनों ही प्राणी हैं क्योंकि उनमें जीवन विद्यमान है।

श्रीमद् भगवद् गीता के अनुसार प्राणी एक आत्मा है और आत्मा अमर है। ठीक वैसे ही जैसे भगवान अमर हैं। आत्मा और भगवान के बीच का संबंध भी अमर है। अगर हम अपने भाई-बंधुओं के प्रति हिंसात्मक रवैये रखेंगे तो परम-पिता भगवान कैसे प्रसन्न होंगे?
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अगर हम किसी भी प्रकार से भगवान को प्रसन्न कर पाएं तो निश्चित तौर पर हम भी सुखी हो पाएंगे। जैसे वृक्ष की जड़ में पानी देने से वृक्ष की सभी शाखा-प्रशाखाओं की तुष्टि हो जाती है, पेट को भोजन देने से सभी इंद्रियां तृप्त हो जाती हैं, उसी प्रकार सभी कारणों के कारण, सभी प्राणियों से संबंधित भगवान श्रीहरि की सेवा से सभी प्राणियों की तृप्ति हो जाती है।

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