Edited By Lata,Updated: 24 Apr, 2019 11:46 AM
कहते हैं कि जब इंसान का जन्म होता है तो उसके साथ ही उसकी मृत्यु की तारीख भी निश्चित हो जाती है। ऐसे ही हमारे हिंदू धर्म में जन्म से लेकर मौत तक
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कहते हैं कि जब इंसान का जन्म होता है तो उसके साथ ही उसकी मृत्यु की तारीख भी निश्चित हो जाती है। ऐसे ही हमारे हिंदू धर्म में जन्म से लेकर मौत तक के 16 संस्कार किए जाते हैं। आज हम बात करेंगे उन्हीं में से एक अंतिम संस्कार यानि दाह संस्कार के बारे में। शास्त्रों में इस बात का उल्लेख देखने को मिलता है कि व्यक्ति का अंतिम संस्कार सूर्यास्त के बाद नहीं किया जाता। लेकिन क्या कभी किसी ने सोचा है आखिर इसके पीछे की क्या वजह हो सकती है। अगर नहीं तो आइए जानते हैं इसके बारे में-
गरुड़ पुराण के अनुसार सूर्यास्त के बाद संस्कार करना निषेध है और वहीं अगर किसी की मौत रात के समय हो तो उसका दाह संस्कार अगले दिन किया जाता है। इसके विषय में शास्त्रों में बताया गया है कि इस समय किया गया संस्कार मृतक की आत्मा को कष्ट भोगना पड़ता है और इसके साथ ही अगले जन्म में उसके किसी न किसी अंग में दोष हो सकता है। इसी वजह से अंतिम संस्कार सूर्यास्त के बाद नहीं करना चाहिए।
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आपने देखा होगा कि दाह संस्कार से पहले एक छेद वाले घड़े में जल भरकर शव के आस-पास परिक्रमा की जाती है और उसके बाद उस घड़े को पीछे को ओर जोर से पटकर फोड़ दिया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि इसके पीछे का कारण पता है। अगर नहीं तो हम बताते हैं इसके बारे में। शास्त्रों में वर्णित है कि ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि मृतक की आत्मा उसके शरीर से अपना मोह भंग कर लें। इसके पीछे एक ओर वजह भी है कि इंसान का जीवन घड़े की तरह मृत होता है और इसमें भरा पानी व्यक्ति का समय होता है। कहते हैं कि जब घड़े से पानी टपकता है तो इसका अर्थ ये होता है कि अंत समय में हर व्यक्ति को सब कुछ त्याग कर परमात्मा में प्रवेश करना ही पड़ता है।
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