क्यों तिलक में मिलाए जाते हैं चावल?

Edited By Jyoti,Updated: 13 Sep, 2020 06:16 PM

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सनातन धर्म में तिलक लगाने का अधिक महत्व बताया गया है। बल्कि इसमें तिलक की कई किस्में बताई गई हैं। तो वहीं ज्योतिष शास्त्र की मानें तो इसमें जातक की कुंडली में मौज़दा ग्रह नक्षत्रों

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ 
सनातन धर्म में तिलक लगाने का अधिक महत्व बताया गया है। बल्कि इसमें तिलक की कई किस्में बताई गई हैं। तो वहीं ज्योतिष शास्त्र की मानें तो इसमें जातक की कुंडली में मौज़दा ग्रह नक्षत्रों को देखकर विभिन्न प्रकार के तिलक लगाने की राय उपाय को तौर भी दी जाती है। तो वहीं सनातन धर्म में होने वाले अनुष्ठान आदि में भी इसका उपयोग किया जाता है। बल्कि हिंदू धर्म के लगभग सारे त्यौहार तिलक से जुड़े जैसे भाई दूज, रक्षा बंधन आदि। इस दौरान बहनें अपने भाईयों को तिलक लगाती हैं, जिसमें अक्षत यानि चावल मिले होते हैं। ये ऐसा परंपरा है जो लगभग हर कोई निभाता है। मगर शायद ही आज तक किसी ने इस बारे में सोचा होगा कि आखिर क्यों तिलक में चावल मिलाकर लगाया जाता है। ऐसा करने से व्यक्ति पर कैसा प्रभाव पड़ता है। जी हां, आप बिल्कुल सही समझ रहे हैं हम आपको इसी बारे में बताने वाले हैं कि आखिर इसका धार्मिक तथा वैज्ञानिक कारण क्या है?
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बता दें, शास्त्रों के अनुसार, चावल को हविष्य यानि हवन में देवताओं को चढ़ाया जाने वाला शुद्ध अन्न माना जाता है। ऐसे में कच्चे चावल का तिलक में प्रयोग सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने वाला होता है। पूजा में भी कुमकुम के तिलक के ऊपर चावल के दाने इसलिए लगाए जाते हैं, ताकि हमारे आसपास जो भी नकारात्मक ऊर्जा उपस्थित हो, वो सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित हो जाएं।

तो अगर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो उस नजरिए से भी इसका काफी महत्व है, विज्ञान के अनुसार भौंहों के बीच वाले स्थान को अग्नि चक्र कहा जाता है और जब हम अपने माथे पर दोनों भोंहों के बीच में तिलक लगाते हैं तो इससे व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है और साथ ही सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। और वही चावल को शातलता का प्रतीक माना जाता है, और जब हम तिलक के साथ चालव लगाते है तो ये हमारे पूरे शरीर में शक्ति और शीतलता का संचार करता है।

बता दें, अक्षत को देवी देवी लक्ष्मी का प्रतीक भी माना जाता है और जब हम तिलक के साथ चावल लगाकर जो भी कार्य करते हैं उससे धन प्राप्ति के होने के आसार बढ़ जाते हैं।
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आपकी जानकारी के लिए बता दें, शास्त्रों में तिलक लगाने के नियम भी बताएं गए हैं, और नियमानुसार तिलक करने से इसका हमें पूरा फायदा मिलता है तो आईए जानते हैं तिलक कैसे करना चाहिए।

तिलक हमेशा अनामिका उंगली से लगाना चाहिए। ज्योतिष के अनुसार अनामिका उंगली सूर्य का प्रतीक होती है। अनामिका उंगली से तिलक लगाने से तेजस्वी और प्रतिष्ठा मिलती है। साथ ही जब भी मान-सम्मान के लिए अंगुष्ठ यानि अंगूठे से तिलक लगया जाता है। अंगुष्ठ से तिलक लगाने से ज्ञान और आभूषण की प्राप्ति होती है। विजय प्राप्ति के लिए तर्जनी उंगली से तिलक लगाया जाता है। इसी के साथ आपको बता दें, तिलक हमेशा मस्तिष्क के केंद्र पर लगाया जाता है। इसका कारण ये है कि मस्तिष्क के बीच में आज्ञाचक्र होता है। जिसे गुरुचक्र भी कहते हैं। ये जगह मानव शरीर का केंद्र स्थान है। इसे से एकाग्रता और ज्ञान से परिपूर्ण हैं।
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