Sawan 2021: भगवान शंकर की पूजा में भूल से भी ये चीज़ें न करें शामिल वरना...

Edited By Jyoti,Updated: 20 Jul, 2021 06:07 PM

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जैसे ही सावन का महीना शुरु होता है भोलेनाथ के भक्त उन्हें प्रसन्न करने में लग जाते हैं। धानी मान्यता है कि भगवान शंकर इस महीने में अपने भक्तों पर अधिक कृपा बरसाते हैं। यही कारण है

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
जैसे ही सावन का महीना शुरु होता है भोलेनाथ के भक्त उन्हें प्रसन्न करने में लग जाते हैं। धानी मान्यता है कि भगवान शंकर इस महीने में अपने भक्तों पर अधिक कृपा बरसाते हैं। यही कारण है कि लोग इस पूरे मास में प्रातः जल्दी उठकर भगवान शंकर का अभिषेक करते हैं वह विभिन्न प्रकार से उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। ताकि भगवान शंकर उन पर प्रसन्न होकर उनकी सभी इच्छाएं पूरी करें। परंतु बहुत कम लोग हैं जो यह जानते हैं कि यदि इस महीने में भगवान शंकर से जुड़ी कोई भूल हो जाए तो भगवान शंकर जितना जल्दी होते हैं उतनी ही जल्दी क्रोधित ठीक हो जाते हैं। ऐसे में हर व्यक्ति के लिए जाना जरूरी है कि भगवान शंकर किन चीजों से रुष्ट हो सकते हैं। तो आइए आपको बताते हैं कि शास्त्रों के अनुसार भगवान शंकर को कौन सी तीन चीजें नहीं चढ़ाई जाती और इन्हें न चढ़ाने का क्या कारण है।


बता दें धार्मिक शास्त्रों के अनुसार भगवान भोलेनाथ के लिंग रूप शिवलिंग पर या उनकी मूर्ति पर केतकी का फूल केवड़े का फूल, तुलसी, मेहंदी, हल्दी, कुमकुम,रोली, सिंदूर खंडित अक्षत यानि टूटे हुए चावल, तिल, नारियल या नारियल का पानी अर्पित नहीं किया जाता है।

जिसमें से हम आज आपको मेहंदी, हल्दी और तुलसी के बारे में बताने जा रहे हैं कि यह भगवान शंकर पर अर्पित क्यों नहीं किए जाते।

मान्यताओं के अनुसार मेहंदी माता पार्वती को अर्पित की जाती है क्योंकि यह उनके सोलह सिंगार का एक हिस्सा है।  परंतु भगवान शंकर के श्रृंगार का हिस्सा उनकी भस्म को कहा जाता है, इसलिए उन्हें भस्म चढ़ाई जाती है।


भगवान विष्णु और सौभाग्य का संबंध हल्दी से माना गया है इसलिए यह भगवान शिव को नहीं चढ़ती है। कहा जाता है कि हल्दी, कुमकुम, रोली, सिंदूर व मेहंदी देवी पूजन की सामग्री मानी गई है।


इसके अलावा तुलसी से जुड़ी हुई एक कथा शास्त्रों में वर्णित है। दरअसल जालंधर नामक असुर की पत्नी वृंदा के अंत से तुलसी का जन्म हुआ था जिसे भगवान शंकर ने अपनी  पत्नी के रूप में स्वीकार किया था जिस कारण भगवान शंकर को तुलसी अर्पित नहीं की जाती है।  बता दे प्रचलित मान्यताओं के अनुसार जालंधर की उत्पति भगवान शंकर के तेज से हुई थी।


कथाओं की माने तो जालंधर नामक राक्षस से सब देवता त्रस्त थे परंतु कोई भी उसकी हत्या नहीं कर सकता था क्योंकि क्योंकि उसकी पत्नी पतिव्रता थी, उसके पतिव्रता के कारण ही जलंधर का संहार करना देवताओं के लिए मुश्किल था। तब भगवान विष्णु ने छल से वृंदा के पति का वेश धारण कर उसका पति धर्म भ्रष्ट किया था जिसके बाद से भगवान शंकर ने जलंधर का वध किया था।  तब तुलसी ने स्वयं भगवान शंकर को अपने स्वरूप से वंचित कर यह शाप दिया था कि वह उनकी पूजा सामग्री में कभी शामिल नहीं होंगी। जिस कारण भगवान शंकर की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल नहीं किया जाता।

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